केरल हाईकोर्ट (kerala High Court) ने सरकार एवं डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) से पूछा कि राज्य के अदालत परिसरों में पुलिस कैसे काम व बर्ताव करेगी, इसे लेकर कोई विज्ञप्ति या सर्कुलर जारी किया गया है? अगर इसे लेकर कोई उचित कार्रवाी नहीं हुई है तो हमें इसे लेकर आदेश देना होगा. अदालत की ये टिप्पणी अधिवक्ता संघ के पत्र के बाद आई है, जिसमें केरल हाईकोर्ट ने अलपुझा में रामांकरी मजिस्ट्रेट कोर्ट के परिसर में एक पुलिस अधिकारी द्वारा एक वकील पर कथित हमले की घटना पर स्वत: संज्ञान (Suo Motu Cognizances) लिया है.
केरल हाईकोर्ट में जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस केवी जयकुमार की खंडपीठ ने वकील के साथ हाथापाई की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है. अदालत राज्य सरकार और डीजीपी को सभी प्रासंगिक आदेश, परिपत्र और कार्यालय ज्ञापन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है जो न्यायालय की कार्यवाही के दौरान पुलिस के आचरण को निर्देशित करते हैं. अदालत ने इन दस्तावेजों को अगली सुनवाई की तारीख तक न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, ताकि राज्य में न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए स्थापित प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके. अदालत ने मौखिक तौर यह भी कहा कि अब कर अगर कोई ऐसी सर्कुलर नहीं है तो पुलिस अधिकारियों को अदालतों में उपस्थित होने के लिए आवश्यक आचार-व्यवहार को दिशानिर्देश बनाने की जरूरत है.
केरल हाईकोर्ट ने न्यायालय परिसर के भीतर कानूनी बिरादरी और पुलिस के बीच बढ़ते विवादों की चिंताजनक प्रवृत्ति को बढ़ते पाया. अदालत ने कहा कि यह स्थिति इन वातावरणों में होने वाली बातचीत की प्रकृति के बारे में चिंता पैदा करती है, जिससे बढ़ते संघर्षों से निपटने व आगे की जांच और संभावित हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी.