Karnataka Banned Hookah: सामान्य अवधारणा है कि हुक्का पीना, सिगरेट पीने की तुलना में कम हानिकारक है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस अवधारणा का खंडन किया है. उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार द्वारा लगाए गए हुक्का बैन के प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कहा कि हुक्का पीना भी कम हानिकारक नहीं है. विश्व भर में सरकारें सिगरेट को नियंत्रित करती हैं, वहीं हुक्का को लेकर ऐसी कोई बात नहीं है. कर्नाटक राज्य ने राज्य के करीब 800 हुक्का बार को बैन किया है. बता दें कि उच्च न्यायालय में कर्नाटक राज्य के इसी फैसले को चुनौती दी गई थी जिसे अदालत ने खारिज की है.
कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने इस मामले को सुना. जस्टिस ने राज्य सरकार के फैसले को लागू रखा. बेंच ने पाया कि हुक्का के हिमायती लोग केवल इस बात पर जोड़ देते हैं कि ये सिगरेट पीने से कम हानिकारक हैं.
जस्टिस ने कहा,
"यह एक मिथक है कि हुक्का, सिगरेट पीने से होनेवाली तंबाकू संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है. हुक्का में सिगरेट की तरह ही कई टॉक्सिन्स होते हैं."
जस्टिस ने आगे कहा,
" सिगरेट की तुलना में लोग ज्यादा समय तक हुक्का पीते हैं जिससे उनके अंदर ज्यादा टॉक्सिन्स जाती है. इससे तंबाकू संबंधी बीमारियां होने के ज्यादा संभावना रहती है. "
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य ने हुक्का बैन करने का फैसला सही है. राज्य संविधान के अनुच्छेद 47 (राज्य के लोगों की लिविंग स्टैंडर्ड को उच्च स्तरीय बनाना) प्रदत शक्तियों का प्रयोग करके हुक्का को बैन किया है. राज्य का ये फैसला सही है.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य से फैसले लेने में देरी करने पर आपत्ति जताई. उच्च न्यायालय ने कहा, कि एक पानी के पाइप से हुक्का पीना लगभग 100 सिगरेट के बराबर है. राज्य ने इसे बैन करने में देरी की है.
"नियम स्पष्ट रूप से राज्य के पक्ष में हैं. राज्य के फैसले का पालन किया जाना चाहिए."
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुक्का बैन लगाने के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिकाओं को खारिज किया है.