आज कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भारत में स्विट्ज़रलैंड स्थित प्रोटॉन मेल (Proton Mail) के संचालन को बंद करने के फैसले पर विचार करने को कहा है. अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 69A और नियम 10 के तहत प्रोटॉन मेल को अवरुद्ध करने के लिए केंद्र सरकार को कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने एम मोसर डिज़ाइन एसोसिएट्स ऑफ़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर यह आदेश दिया, जिसमें कंपनी ने अपने कर्मचारियों और ग्राहकों के बारे में अश्लील ईमेल संदेशों के भेजने का दावा किया है. याचिका में प्रोटॉन मेल द्वारा उपयोगकर्ताओं को प्रदान की जाने वाली उच्च स्तर की गुमनामी ( high degree of anonymity) और देश में इसके निरंतर संचालन पर चिंता व्यक्त की गई है.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A और नियम 10 के तहत प्रोटॉन मेल को ब्लॉक करने के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है. हालांकि, केंद्र और अन्य एजेंसियों के वकीलों ने पहले कहा था कि याचिकाकर्ता की मांगों को पूरा करने में केंद्र सरकार की भूमिका सीमित हो सकती है और स्विस अधिकारियों से सहायता मांगने की प्रक्रिया ट्रायल कोर्ट को शुरू करनी होगी.
वहीं, सुनवाई के दौरान, प्रोटॉन मेल ने कहा है कि यह एक निःशुल्क और सुरक्षित ईमेल सेवा है जो 'हमारे समुदाय द्वारा संचालित है, इसकी निगरानी पूंजीवाद के अधीन नहीं है'. कंपनी के अनुसार उसका डेटा 'प्रोटॉन स्विट्जरलैंड में शामिल है और इसका मुख्यालय भी वहीं है, जिसका अर्थ है कि आपका डेटा दुनिया के कुछ सबसे सख्त गोपनीयता कानूनों द्वारा संरक्षित है.
याचिका में यह भी दावा किया गया कि प्रोटॉन मेल पुलिस को आपत्तिजनक ईमेल भेजने वाले के बारे में विवरण देने से इनकार कर रहा है. वहीं, वकील ने अदालत को सूचिक करते हुए कहा कि इस पृष्ठभूमि में पुलिस जांच अप्रभावी रहेगी. वकील ने आगे कहा कि प्रोटॉन मेल ने भारत से अपने सर्वर हटा दिए हैं और हाल के दिनों में स्कूलों को बम से धमकी देने वाले ईमेल प्रोटॉन मेल खातों से भेजे गए थे, यह राष्ट्रीय खतरा है. वकील ने पीठ के समक्ष आगे कहा कि प्रोटॉन मेल उपयोगकर्ताओं को भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचने के तरीके के निर्देश देता है और प्रोटॉन ई-मेल आईडी बनाने में केवल 30 सेकंड का समय लगता है और यह बिना किसी सत्यापन के किया जाता है.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार से प्रोटॉन मेल के ऑपरेशन को भारत में बंद करने के निर्देश दिए.