बेंगलुरु: शवों से ‘शारीरिक संबंध बनाने’ (Carnal Intercourses with Corpses) जैसे अमानवीय कृत्या को अपराध की श्रेणी में लाने और दंडित करने के वास्ते कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने केन्द्र से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने को कहा है। यह अनुशंसा एक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (Section 376 of Indian Penal Code) के तहत बरी करते हुए उच्च न्यायालय ने की.
रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘ इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 375 अथवा धारा 377 के प्रावधान लागू नहीं होंगे....।’’ ब्रिटेन और कनाडा सहित कई देशों का उदाहरण देते हुए जहां पार्थिव शरीर के साथ शारीरिक संबंध बनाना और शवों के साथ अपराध दंडनीय अपराध हैं, उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे प्रावधान भारत में भी लाए जाएं।
अदालत ने ऐसी अनुशंसा इसलिए की क्योंकि ‘दुष्कर्म’ के प्रावधानों में ऐसा कोई उपनियम नहीं है जिसके तहत शव के साथ शरीरिक संबंध बनाने के आरोपी को दोषी ठहराया जा सके।
न्यूज़ एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार, आरोपी ने एक महिला की हत्या कर दी थी और फिर उसके शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। अदालत ने इस मामले में हालांकि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आरोपी को कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
30 मई को आदेश सुनाते हुए, न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी की पीठ ने कहा, ‘‘आरोपी ने शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए। क्या यह भारतीय दंड संहिता की धारा 375 अथवा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है? धारा 375 तथा 377 का सावधानीपूर्वक अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि पार्थिव शरीर को मानव अथवा व्यक्ति नहीं माना जा सकता।’’
साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि शवों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए छह महीने के भीतर सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के मुर्दाघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
आदेश में मुर्दाघरों के ठीक से नियमन और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने की भी सिफारिश की गई.
गौरतलब है की हत्या और दुष्कर्म का यह मामला 25 जून 2015 का है और आरोपी तथा पीड़िता दोनों तुमकुर जिले के एक गांव से थे।