नई दिल्ली: जस्टिस प्रसन्ना बी वराले (Justice Prasanna B. Varale) सुप्रीम कोर्ट के नए जज बने. उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरूवार के दिन पद की शपथ दिलाई. जस्टिस वराले के जज बनते ही सुप्रीम कोर्ट में जजों कुल संख्या फिर से 34 हो गई. वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति (Scheduled caste) के जजों की संख्या दो से बढ़कर तीन हो गई. जो है: जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस वराले.
एक सप्ताह पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने जस्टिस पी बी वराले के नाम की सिफारिश केन्द्र सरकार को भेजी थी. जिस पर केंद्र सरकार ने अपनी रजामंदी दी. कॉलेजियम ने जस्टिस पी बी वराले के नाम को सुप्रीम कोर्ट जज के लिए उपयुक्त बताते हुए कहा कि हाईकोर्ट के जजों में जस्टिस वराले अनुसूचित जाति की श्रेणी से आनेवाले सबसे सीनियर जज हैं. हाईकोर्ट के जजों की संयुक्त भारतीय सीनियरिटी में छठें नंबर पर हैं. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों में वह सबसे सीनियर है.
कानून से जुड़े हर क्षेत्र में दिए फैसले
बता दें, कि सीजेआई (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने पांच सदस्यीय कॉलेजियम की अगुवाई की. कॉलेजियम ने पी बी वराले के नाम की सिफारिश जस्टिस एसके कौल के जगह पर की, जो पिछले महीने सेवानिवृत (रिटायर्ड) हुई. कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा, कि जस्टिस वराले द्वारा दिए गए फैसले कानून के क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों से जुड़े हैं. साथ ही उन्होंने अपने न्यायिक कैरियर में पेशेवर नैतिकता के उच्च मानक को बनाए रखा. वह एक बेदाग आचरण और सत्यनिष्ठा के धनी व्यक्तित्व है.
'कैरियर' पर एक नजर
सुप्रीम कोर्ट जज चुने जाने से पहले जस्टिस पी बी वराले बॉम्बे हाईकोर्ट में जज की भूमिका निभा रहा थे. वह साल, 2008 में सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में पदोन्नत हुए थे. और यहां से पहले औरंगाबाद में 23 सालों से अधिक हाईकोर्ट संवैधानिक मामलों में बार की भूमिका में रहे.