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Jim Corbett: ‘A nexus between Politician and Bureacrats’: Supreme Court ने जिम कार्बेट में पेड़ों की काटने पर ऐसा क्यों कहा?

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे पोखराऊ बाघ सफारी निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए सफारी को केवल बफर जोन तक ही सीमित रखने के आदेश दिए.

Written by My Lord Team |Published : March 6, 2024 6:18 PM IST

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) में हो रहे पोखराऊ बाघ सफारी (Tiger Safari) निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सफारी को केवल बफर जोन (Buffer Zone) तक ही सीमित रखने के आदेश दिए. इस योजना को जमीन पर लाने के लिए बड़ी संख्या में हुई पेड़ो की कटाई पर भी आपत्ति जताया है. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) और वन अधिकारी (DFO) किशन चांद (Kishan Chand) को खड़ी-खोटी भी सुनाई. वहीं, पार्क को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए एक जांच कमिटी भी गठित की है. आइये जानते हैं कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कुछ कहा…. 

तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. उत्तराखंड के पूर्व फॉरेस्ट मिनिस्टर हरक सिंह रावत और वन विभाग अधिकारी (DFO) को उनके कृत्यों के लिए पर सख्त हिदायत दी हैं. 

पेड़ो की हुई अवैध कटाई हुई

बेंच ने कहा. इस घटना में नेता और वन अधिकारी की सांठगांठ दिख रही हैं. कैसे व्यावसायिक लाभ के लिए पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाया गया है. तीन जजों की बेंच ने पेड़ों की अवैध कटाई और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले कृत्यों के लिए पूर्व फॉरेस्ट मंत्री हरक सिंह को खड़ी-खोटी सुनाई. 

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केवल व्यावसायिक लाभ के लिए 

बेंच ने आगे कहा. हम तत्कालीन फॉरेस्ट मिनिस्टर और वन अधिकारी की दुस्साहस पर आश्चर्यचकित हैं. उन्होंने वैधानिक नियमों की अनदेखी की है. हालांकि, सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रही है. इसलिए हम कुछ भी कहने से बच रहे हैं. 

जिम कॉर्बेट में अवैध रूप से हुई पेड़ो की कटाई को ध्यान में रखा. बेंच ने वन प्रबंधन को और बेहतर बनाने के लिए सुझाव देने को कहा है. ये सुझाव देने जिम्मेदारी पूर्व वन महानिदेशक और विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल, सुमित सिन्हा आदि को सौंपी गई हैं.

  बेंच ने कहा. जो सफारी पहले से है, और जो अभी निर्माणधीन हैं. उस पोखराऊ को यथावत रहने दिया जाए. जहां तक पोखराऊ में सफारी का सवाल है, राज्य उसे किसी अन्य जगह स्थापित करें. 

नुकसान की भरपाई के लिए बनी जांच कमिटी

बेंच ने आदेश देते हुए कहा. पर्यावरण और वन मंत्रालय, नेशनल टाइगर रिजर्व ऑथोरिटी और सेन्ट्रल इम्पॉवर्ड कमिटी साथ मिलकर एक कमिटी गठित करें. जो नेशनल पार्क में हुए नुकसान की भरपाएं करने के लिए काम करेंगे. साथ ही इसमें शामिल अफसर की पहचान करें और उनसे  नुकसान की भरपाई कराएं. 

सीबीआई जल्द पूरी करें जांच

कोर्ट ने सीबीआई को जल्द से जल्द जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं. साथ ही पेड़ो की अवैध कटाई में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी दिए हैं. 

क्या है मामला?

यह मामला पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल द्वारा दायर एक याचिका से उत्पन्न हुआ, जिसमें उत्तराखंड सरकार के पखराऊ बाघ सफारी प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी. 

राज्य की योजना क्या थी? 

राज्य द्वारा जारी सूचना में है. उत्तराखंड में वर्तमान में 560 टाइगर है. वहीं, 1288 एकड़ में फैले जिम कार्बेट नेशनल पार्क में 260 टाइगर है. पखराऊ में प्रस्तावित बाघ सफारी 106 हेक्टेयर भूमि पर थी, जो राष्ट्रीय उद्यान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 0.082 प्रतिशत और बाघ अभयारण्य के बफर क्षेत्र (Buffer Zone) का 0.22 प्रतिशत है.