नई दिल्ली: Jamia Millia Islamia विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नजमा अख्तर को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया है.
जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एम एहतेशाम-उल-हक की ओर से दायर अपील खारिज करते हुए आज आदेश सुनाया.
पूर्व छात्र की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मार्च 2021 में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम या यूजीसी विनियमों का कोई उल्लंघन दिखाने में विफल रहा है.
हाईकोर्ट की एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ पूर्व छात्र ने खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की थी. पूर्व छात्र ने अपील में तर्क किया कि नजमा अख्तर की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध थी क्योंकि कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी अवैधताओं से ग्रस्त थी.
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि कुलपति के रूप में डॉ अख्तर की नियुक्ति में जो प्रक्रिया अपनाई गई वह पूर्णतया शक्ति का गलत प्रयोग था.
अपील में कहा गया कि नियुक्ति प्रक्रिया जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 का खुला उल्लंघन करती है. जिसे UGC के खंड 7.3.0 के अनुसार विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और मानकों के रखरखाव के लिए उपाय के साथ पढ़ा गया था.
खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि डॉ नजमा अख्तर की कुलपति के रूप में नियुक्ति् पर JMI अधिनियम के किसी भी स्पष्ट प्रावधान का उल्लंघन नही किया गया था.