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चोरी करने पर ही नहीं, चोरी का सामान खरीदने पर भी होगी जेल

जिस तरह चोरी करना गैर जमानती अपराध है उसी तरह चोरी का सामान खरीदना भी गैर जमानती अपराध है जिसके लिए अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है

Written by nizamuddin kantaliya |Published : December 12, 2022 10:10 AM IST

नई दिल्ली, हम पहले ये जान चुके है कि चोरी करना हमारे देश के कानून के अनुसार एक गंभीर अपराध है और उसके लिए 3 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है. लेकिन क्या आप ये जानते है कि सिर्फ चोरी करना ही नहीं, चोरी का सामान खरीदना भी एक बड़ा अपराध है उसके लिए भी जेल की सजा होगी. कानून के अनुसार सिर्फ चोरी ही नहीं, चोरी किए गए सामान को रखना, बेचना और खरीदना भी अपराध है.

चोरी का अपराध है गैर जमानती

देश के कानून के अनुसार चोरी के अपराध को IPC Section 378 के तहत एक गंभीर अपराध माना गया है और उसके लिए  IPC Section 379 में 3 साल से लेकर सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

चोरी का सामान खरीदना, उसका प्रयोग करना या उसे प्रोत्साहित करना भी IPC Section 410 के तहत अपराध माना गया है. IPC की धारा 410 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या पता होते हुए भी बेईमानी के उद्देश्य से चोरी या लूट की सामग्री, वस्तु या संपत्ति को किसी चोर या लुटेरे से खरीदता है, अपने पास रखता है या कब्जे में रखेगा या खरीदा तो उसे अपराध माना जाएगा.

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खरीदना भी है अपराध

कई बार लोग चोरी लूट के सामान को भी इस वजह से लूटते है कि जिसने उसे प्राप्त किया था उसने कौनसी मेहनत की है. लेकिन यहां पर भी एक महत्वपूर्ण बात ध्यान रखने योग्य है कि भारतीय कानून के अनुसार चोरी से हासिल की गयी चोरों या लुटेरों की संपत्ति को किसी भी दूसरे व्यक्ति द्वारा दोबारा लूटना भी धारा 410 के तहत अपराध के दोषी माने जाएंगे.

चोरी का सामान खरीदने के बावजूद चार ऐसे तथ्य है जहां पर खरीदने वाला व्यक्ति अपराध का दोषी नहीं होंगा. कानून के अनुसार जिस व्यक्ति को यह पता नहीं होगा कि जो संपत्ति उसे किसी व्यक्ति ने दी है वह चोरी या लूट की है. ऐसी स्थिति में उसे चोरी की सामग्री खरीदने का दोषी नहीं माना जाएगा. इसी तरह चोरी किए गए समान के मूल अस्तित्व को बदलकर अगर बेचा जा रहा हो और उसे खरीदा गया है जैसे किसी ने लकड़ी चुराई है लेकिन अब बाजार में उसी लकड़ी से बने खिलौने खरीदे गए है.चोरी की गई संपत्ति या वस्तु का कोई मालिक न होने पर भी खरीददार को अपराधी माना जाएगा.

गैर जमानती अपराध है खरीदना

गैर जमानती अपराध वे अपराध होते हैं जिनके लिए जमानत नहीं दी जा सकती. इसलिए, यदि किसी व्यक्ति पर किसी गैर- जमानती अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया है, तो वह अपने अधिकार के रूप में जमानत का दावा नहीं कर सकता है.

ऐसे मामलों में आरोपी को पुलिस स्टेशन से जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता है उसे जमानत के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी.

क्या है सजा

चोरी का सामान खरीदने पर IPC की धारा 410 में इस अपराध को समझाया या वर्णित किया गया है. लेकिन इस अपराध के लिए सजा का प्रावधान IPC की धारा 411 में किया गया है. आईपीसी की धारा 411 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी की चुराई हुई प्रॉपर्टी को अच्छी तरह जानते हुए कि यह प्रॉपर्टी या चीज चोरी की है उसे बेईमानी से हासिल करता है या अपने पास बरकरार रखता है तो उसे इस धारा के तहत 3 साल तक की जेल की सजा या जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है. अदालत चाहे तो जेल की सजा के साथ जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है.

यानी अगर आप कोई ऐसा सामान खरीदते हैं या इस्तेमाल करते हैं जिसके बारे में आपको पता है कि यह चोरी का सामान है या आपके पास कोई रीजन है यह यकीन करने का कि यह चोरी का सामान है तो उसका इस्तेमाल करना या खरीदना एक क्राईम है जिसमें आपको आईपीसी सेक्शन 411 के तहत 3 साल तक की सजा हो सकती है|