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फांसी की सजा के खिलाफ दायर दया याचिकाओं को लेकर Supreme Court के निर्देश, जल्द से जल्द करें फैसला, ताकि आरोपी अनुचित फायदा न उठा सके

Bombay High Court ने 9 लोगो की मौत के दोषी की मौत की सजा को बदलकर आजीवन उम्रकैद में कर दिया था, क्योकि राज्य सरकार द्वारा उसकी दया याचिका पर 7 साल 10 माह बाद भी फैसला नही लिया गया

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 15, 2023 12:23 PM IST

नई दिल्ली: Supreme Court ने देश की सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मृत्युदंड के मामलों में दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला करते हुए उनका निस्तारण किया जाए.

Supreme Court में Justice M R Shah  Justice C T Ravikumar की पीठ ये आदेश Bombay High Court  के एक फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिए है.

पीठ Bombay High Court  के एक फैसले को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने आरोपी को दी गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.

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आरोपी द्वारा दायर दया याचिका पर महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा 5 चर्ष से अधिक समय तक फैसला नहीं करने के आधार पर Bombay High Court ने मौत की सजा को आजीवन उम्रकैद में बदल दिया था.

इस मामले में राज्यपाल की यह देरी लगभग 7 साल 10 महीने तक की थी.Bombay High Court  ने ये फैसला Supreme Court के Jagdish Vs. State of Madhya Pradesh (2020) के फैसले सहित ऐसे ही समान फैसलो की नजीर में दिया था.

Supreme Court ने Bombay High Court  के फैसले में कोर्ट में ऋुटि होने से इंकार करते हुए कहा कि यह सच है कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के दौरान अपराध की गंभीरता एक प्रासंगिक विचार हो सकता है, हालांकि, दया याचिकाओं के निपटान में अत्यधिक देरी को भी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के दौरान एक प्रासंगिक विचार कहा जा सकता है.

पीठ ने कहा कि यदि अंतिम निर्णय के बाद भी Supreme Court तक मामला आने के बाद भ्ज्ञी दया याचिका का निर्णय न करने में अत्यधिक देरी होती है, तो मृत्युदंड का उद्देश्य विफल हो जाएगा.

पीठ ने कहा कि इसलिए इस तरह के मामलो में राज्य सरकार या संबंधित अधिकारियों द्वारा रा यह देखने के लिए सभी प्रयास किए जाएं कि दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला किया जाए और उनका निस्तारण किया जाए, ताकि आरोपी को भी अपने भाग्य का पता चल सके और यहां तक कि पीड़ितों के साथ भी न्याय हो सके.

Supreme Court ने अपने फैसले में सभी राज्य सरकारों के साथ संबंधित प्राधिकरणों को जिनके समक्ष दया याचिकाए दायर की जाती है या जिनके समक्ष् दायर है उन सभी को निर्देश देते हुए कहा है कि मौत के खिलाफ दया याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला करे, ताकि अत्यधिक देरी के कारण आरोपी अनुचित फायदा नहीं उठा सके.

केन्द्र का हस्तक्षेप

सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर पेश हुई ASG ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि दया याचिका में हुई देरी के चलते आधार पर हाईकोर्ट द्वारा आरोपी की मौत की सजा को बदलकर आजीवन उम्रकैद में बदलने के अधिकार सही है.

ASG ऐश्वर्या भाटी ने Supreme Court से कहा कि वे इस मामले में High Court के फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर रहे है लेकिन चुकि इस मामले में 9 लोग मारे गए है और अगर हाईकोर्ट बिना किसी छूट के मौत की सजा को प्राकृतिक जीवन के लिए आजीवन कारावास में बदलने का आदेश पारित करना चाहिए था.

एएसजी ने पीठ से अनुरोध किया कि आरोपी की मौत की सजा को संपूर्ण प्राकृतिक जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा के रूप में बदले जाना उचित होता और यह पीड़ितों को सांत्वना दे सकता है.

सरकार की दलील स्वीकार

Supreme Court ने सरकार की इस अपील पर Bombay High Court द्वारा मौत की सजा पाए दोषी की सजा को आजीवन उम्रकैद में बदलने के फैसले में भी हस्तक्षेप से इंकार किया, लेकिन इस मामले में सरकार द्वारा दी गई दलील स्वीकार किया.

Supreme Court ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि मामले में आरोपी याचिका को अपने पुरे प्राकृतिक जीवन के लिए उम्रकैद की सजा भूगतनी होगी और उसे किसी तरह की रियायत नही दि जायेगी.