Domestic Violence Act: मामला घरेलू हिंसा से जुड़ा है जिसमे पत्नी को तीन करोड़ रूपये का मुआवजा मिलेगा. साथ ही पति को 50,000 रूपये प्रति महीना भी देना होगा. पत्नी ने आरोप लगाया. पति ने उसे हनीमून पर जाने के दौरान सेकेंड हैंड कहा था. पत्नी के आरोपों को सही पाते हुए ट्रायल कोर्ट ने पति के ऊपर उक्त जुर्माना लगाया है. वहीं, पति ने इस फैसले को चुनौती दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. आइये जानते हैं पूरी घटना विस्तार से….
सिंगल-जज बेंच ने घरेलू हिंसा से जुड़े इस मामले को सुना. जस्टिस शर्मिला देशमुख ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया. जस्टिस ने कहा. पति ने अपनी पत्नी के साथ हिंसा किया है, जो साल 1994 से लेकर 2017 के बीच नियमित तौर पर हुई है. वादी ने लगातार अपनी पत्नी को शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तौर पर प्रताड़ित किया है.
बेंच ने बताया. मुआवजे की राशि तय करने का कोई फार्मूला नहीं है. यह पूरी हिंसा और पीड़िता की स्थिति को देखकर तय किया जाता है.
बेंच ने कहा,
"दोनों शिक्षित हैं और अपने कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन में उच्च स्थान पर हैं. सामाजिक प्रतिष्ठा होने के कारण, घरेलू हिंसा पत्नी के आत्मसम्मान को अधिक प्रभावित करेगा."
जस्टिस ने फैसले को सही पाया और कहा. पत्नी और पति दोनों ही शिक्षित है. आर्थिक रूप से संपन्न है. ट्रायल कोर्ट ने पार्टीयों की स्थिति पर विचार करते हुए यह फैसला सुनाया है.
पति और पत्नी, दोनों की शादी साल, 1994 में हुई. शादी के बाद दोनों यूएसए चले गए. 2005 में लौट आए.
साल 2015 में, पति वापस अमेरिका लौट गया. यूएसए में के एक अदालत में तलाक की अर्जी दी. इस घटना के बाद पत्नी ने बॉम्बे की एक अदालत में पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया. साल, 2018 में अमेरिकी कोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दे दी.
पत्नी ने घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया. उसने पति से गुजारा भत्ता की मांग की. पत्नी ने आरोप लगाया. शादी के बाद जब वे नेपाल में हनीमून पर गए थे, तब पति ने उसे ‘सेकेंड हैंड’ कहकर अपमानित किया था. पत्नी ने बताया कि ये उसकी दूसरी शादी थी, जिसके चलते पति ने उसे अपमानित किया. साथ ही पत्नी के अनुसार, पति ने उसपर दूसरे पुरूषों के साथ भी अवैध संबंध होने की बात कही.
ट्रायल कोर्ट ने पत्नी के साथ हुए घटना को सही पाते हुए पति के खिलाफ आदेश सुनाते हुए उस पर तीन करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया. साथ ही उसे 50,000 रूपये प्रति महीना गुजारा भत्ता भी देने को कहा है.
पति ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौचती दी. सेशन कोर्ट ने भी मजिस्ट्रेट के फैसले को सही ठहराया. वहीं, हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है.