सुप्रीम कोर्ट से बंगाल सरकार को बड़ी जीत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को सुनवाई योग्य पाया है जिसमें राज्य की सहमति के बिना सीबीआई ने केस में इंट्री ली थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य पाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के मुकदमे ने एक कानूनी मुद्दा उठाया है कि क्या राज्य द्वारा सामान्य सहमति रद्द कर दिए जाने के बाद, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 6 के उल्लंघन में मामले दर्ज कर सकती है और जांच कर सकती है.
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला मई 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. जब राज्य के लोगों ने टीएमसी कार्यकर्ता पर घर जाने पर रोक लगाने के आरोप लगाए. राज्य के इस हालात पर मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सात सदस्यीय टीम ने बंगाल सरकार पर कानून के शासन को शासक के कानून से बदलने का आरोप लगाते हुए इस स्थिति की CBI जांच की थी. पश्चिम बंगाल सरकार ने केन्द्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की याचिका पर मई में अपनी सुनवाई पूरी हो चुकी थी, आज सुप्रीम कोर्ट ने 'बंगाल सरकार की याचिका को सुनवाई योग्य' बताते हुए अपना फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की डिवीजन बेंंच ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने याचिका को कानूनी पहलू से सुनवाई योग्य पाया है.
अदालत ने कहा,
"केन्द्र का तर्क अस्वीकार किया जाता है. पश्चिम बंगाल द्वारा दायर वाद कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा. हम मानते हैं कि जब वाद का निर्णय उसके गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा, तो इन निष्कर्षों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा."
अदालत ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल के मुकदमे ने एक कानूनी मुद्दा उठाया है कि क्या राज्य द्वारा सामान्य सहमति रद्द कर दिए जाने के बाद, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 6 के उल्लंघन में मामले दर्ज कर सकती है और जांच कर सकती है.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act), 1946 की धारा 6, कहती है कि किसी क्षेत्र में जांच के लिए वहां की सरकार की अनुमति के बिना शक्तियों और अधिकार के प्रयोग में समर्थ नहीं मानी जाएगी.
अब अदालत 13 अगस्त के दिन इस मामले में मुद्दे तय करने (Framing Of Issues) के लिए सुनवाई करेगी.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केन्द्र राज्य सरकारों को निशाना बनाने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि यदि सीबीआई को जांच के लिए किसी राज्य में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी आमतौर उनके पीछे आती है और इसका भारतीय राजनीति पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है.
केंद्र सरकार ने जवाब में कहा था कि सीबीआई एक स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी है. इसलिए बंगाल सरकार की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.
केंद्र ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 131 (केंद्र-राज्य विवादों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का मूल अधिकार क्षेत्र) के अनुसार सीबीआई को ऐसे मुकदमों में पक्ष नहीं बनाया जा सकता.