नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके बिजनेसमैन पति दीपक कोचर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई के मामले में राहत नहीं दी है.
ICICI-Videocon loan case के मामले में सीबीआई द्वारा अवैध गिरफ्तारी का आरोप लगाते हुए दोनो की ओर से याचिका दायर की गयी है. गिरफ्तारी के खिलाफ दायर इस याचिका में अंतरिम राहत की मांग करते हुए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया है.
जस्टिस माधव जे जामदार और जस्टिस एस जी चपलगांवकर की अवकाशकालीन पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है. शीतकालीन अवकाश के बाद 2 जनवरी से शुरू होने वाली नियमित अदालत के समक्ष अपनी याचिका के लिए सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं.
दोनों ने सीबीआई द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.दायर याचिका में कहा गया कि इस केस में उनकी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत बिना पूर्व अनुमति के की गई. याचिका में कोचर की ओर से रिमांड आदेश को निरस्त करने की भी की गयी है.
कोचर दंपति की ओर से याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि उनके इकलौते बेटे की शादी 15 जनवरी, 2023 को प्रस्तावित है, और शादी को लेकर कई कार्यक्रम भी शुरू होने जा रहे हैं.
याचिका में एजेंसी पर आरोप लगाया गया है कि उन्हे अंदेशा है कि एफआईआर दर्ज होने के 4 साल उनके बेटे की शादी की पूर्व संध्या पर उन्हे गिरफ्तार किया जा सकता है, जबकि इस तरह के मामलों में स्थापित कानून होने के बावजूद दुर्भावना से काम किया जा रहा है.
चंदा कोचर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कोचर दंपति की गिरफ्तारी के मामले में the Prevention of Corruption Act के तहत किसी लोक सेवक की गिरफ्तारी से जुड़ी अनिवार्य अनुमति नहीं ली गयी है.
एफआईआर दर्ज होने के 4 साल बाद की गई गिरफ्तारी को लेकर भी याचिका में कहा गया है कि FIR के 4 साल बाद गिरफ्तार किया जाना दंड प्रक्रिया संहिता the Code of Criminal Procedure की धारा 41A का उल्लंघन है.
वर्ष 2009 में चंदा कोचर को ICICI बैंक की एमडी और सीईओ बनाया गया था. सीईओ बनने को दो साल बाद उन्हे वर्ष 2011 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की सीईओ बनने के बाद चंदा कोचर ने अनियमित तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत की कंपनियों के लिए लोन मंजूर कराए.
चंदा कोचर ने वीडियोकॉन को करीब 3250 करोड़ रुपये का लोन जारी किया गया था. जबकि धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाया था.
कोचर ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के साथ जुड़ी चार अन्य कंपनियों को जून, 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच 1,875 करोड़ रुपये के 6 लोन को मंजूरी देने में कथित अनियमितता बरती.
ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप दोनों के निवेशक अरविंद गुप्ता ने पहली बार इस मामले में 2016 में शिकायत की. गुप्ता ने इस मामले में प्रधानमंत्री, आरबीआई और कई दूसरी अथॉरिटी को भी जांच की मांग करते हुए शिकायत भेजी.लेकिन इन शिकायतों को तवज्जो नहीं दी गयी.
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 2018 में एक व्हिसल ब्लोअर बैंक के शीर्ष मैनेजमेंट के खिलाफ सबूतों के साथ शिकायत की.बढ़ते दबाव के चलते ICICI बैंक ने इस मामले में जांच शुरू की,सेबी ने भी कोचर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. बढते विवाद और जांच के दायरें के चलते चंदा कोचर ने अपने पद से जल्दी रिटायर होने का आवेदन किया. बैंक ने इस बात को 4 अक्टूबर 2018 को मंजूरी दे दी.
अब तक इस मामले में सीबीआई की एंट्री हो चुकी थी. 22 जनवरी, 2019 को सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर, और वेणुगोपाल धूत और उनकी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी. ईडी ने चंदा और उनके पति से जुड़ी 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां भी कुर्क की. इसके बाद इस मामले में दूसरी एफआईआर दर्ज की गयी
CBI का आरोप है कि वीडियोकॉन समूह को दिए इस लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी शामिल थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और वीडियोकॉन को लोन मंजूर करने के लिए वेणुगोपाल धूत से अपने पति के माध्यम से अनुचित लाभ प्राप्त किया.
पहली एफआईआर दर्ज होने के करीब चार साल बाद CBI ने 23 दिसंबर को चंदा कोचर और उनके पति को गिरफ्तार किया.