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हाईकोर्ट जज ने दी सर्वोच्च् अदालत और सीजेआई के आदेश को चुनौती तो रात में खुली अदालत, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस गंगोपाध्य के एक आदेश ने सुप्रीम कोर्ट में देर रात सुनवाई के लिए मजबूर किया. सुप्रीम कोर्ट ने जज के आदेश को न्यायिक अनुशासन से बाहर बताया है.

Bihar Caste Survey Case

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 29, 2023 6:55 PM IST

नई दिल्ली: देश के न्यायिक इतिहास में शुक्रवार का दिन एक बार फिर से एक ऐसी घटना का गवाह बना जब देश की सर्वोच्च अदालत को एक हाईकोर्ट जज के आदेश पर रोक लगाने के लिए देर रात सुनवाई करनी पड़ी.

सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में रात 8 बजे विशेष सुनवाई हुई और कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले पर रोक लगा दी गई.

इस पुरे मामले की शुरूआत यू तो कोलकोता हाईकोर्ट से होती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार को दिन में दिए गए एक फैसले के बाद ये नाटकीय घटनाक्रम शुरू हुआ.

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मीडिया में बयान और केस

पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिन में इस मामले पर सुनवाई की.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच TMC महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

अभिषेक बनर्जी ने अपने खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा CBI और ED की पूछताछ के आदेश का विरोध किया था.

सुनवाई के दौरान कोलकोता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के एक निजी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू का मामला सामने लाया गया. बनर्जी ने कोर्ट से कहा था कि जस्टिस गंगोपाध्याय ने इंटरव्यू में उनके खिलाफ टिप्पणी की है.

सीजेआई की पीठ को यह बताया गया कि जिस मामले की जज सुनवाई कर रहे थे, उसकी मामले पर उन्होने मीडिया के समक्ष बयान दिया है जो कि न्यायिक सिद्धांतो के खिलाफ हैं.

सुनवाई से हटाया

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए साक्षात्कार की ट्रांसस्क्रीप्ट भी पेश की.

सुनवाई के बाद सीजेआई की पीठ ने कोलकोता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश देते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय को इस मामले की सुनवाई से हटाने के आदेश दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले को किसी दूसरे जज को असाइन करने का भी आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED जांच के आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगाते हुए कहा कि आदेश देने से पहले राज्य सरकार को नोटिस जारी नहीं किया गया. चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि हाई कोर्ट ने राज्य का पक्ष नहीं सुनते हुए जल्दबाजी दिखाई है और आदेश पारित कर दिया.

सेकेट्री जनरल को आदेश

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के कुछ देर बाद ही जस्टिस अ​भिजीत गंगोपाध्याय ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए सु्प्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल और कोलकोता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को साक्षात्कार की ट्रांसस्क्रीप्ट पेश करने के आदेश दिए.

जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के जनरल सेक्रेटरी को निर्देश दिया कि उन्हें उस इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट कॉपी आधी रात तक उपलब्ध कराएं, जो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया था.

मामला यही नहीं रूका जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में शुक्रवार रात 12 बजे ये ट्रांसस्क्रीप्ट पेश करने के आदेश देते हुए कहा कि वह अपने चैंबर में रात के 12:15 बजे तक बैठकर इंतजार करेंगे.

स्पेशल बेंंच का गठन, रात 8 बजे सुनवाई

जस्टिस गंगोपाध्याय के इस आदेश की जानकारी सीजेआई को दी गयी, जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष बेंच का गठन किया गया.

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट में रात 8 बजे सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आदेश 'न्यायिक अनुशासन' के खिलाफ है. बेंच ने सेक्रेटरी जनरल को निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश जस्टिस गंगोपाध्याय तक पहुंचा दे.

सुनवाई के दौरान मौजुद रहे सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि जज को ऐसा आदेश नही देना चाहिए.

जिसके बाद पीठ ने कहा "न्यायिक अनुशासन को देखते हुए कार्यवाही में इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए था. हम स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट जज के आदेश पर रोक लगाते हैं.

TMC के खिलाफ दे रहे थे आदेश

शिक्षक भर्ती घोटाले में जस्टिस गंगोपाध्याय ने 2022 की शुरुआत में पहली बार सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इस मामले में पहली हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी टीएमसी नेता (अब निष्कासित) पार्थ चटर्जी की हुई थी.

इसके बाद राज्य शिक्षा विभाग के कई सीनियर अधिकारी, टीएमसी विधायक मानिक भट्टाचार्य, जिबान कृष्णा और कई अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी हुई थी.

ये घोटाला ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के नॉन टीचिंग स्टाफ, क्लास 9-12 के टीचिंग स्टाफ और प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की अवैध भर्ती से जुड़ा हुआ है. जब ये घोटाला हुआ, तब पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे.

जस्टिस गंगोपाध्याय लगातार ऐसे आदेश जारी कर रहे थे, जो वहां की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के खिलाफ थे.

उन्होने हाल ही में टीएमसी नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए थे.

इसी बीच उन्होने एक निजी टीवी चैनल पर दिए साक्षात्कार में भी सरकार पर आरोप लगाए थे.