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केरल सरकार को हाईकोर्ट ने जमकर फटकारा, कहा-हेमा कमेटी की रिपोर्ट के खुलासे पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हेमा समिति की रिपोर्ट पर राज्य सरकार की निष्क्रियता के चलते जमकर फटकार लगाई है. अदालत ने केरल सरकार से कहा कि आपने चार साल में हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर बैठे रहने के अलावा कुछ नहीं किया. अदालत ने एसआईटी को मामले की जांच कर रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में देने को कहा है. अब अदालत 3 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी.

Written by Satyam Kumar |Updated : September 10, 2024 4:01 PM IST

Hema Committee Report: केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर निष्क्रियता के लिए राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने जवाब की मांग करते हुए पूछा कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट में किए गए खुलासे के बाद राज्य ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. केरल हाईकोर्ट ने राज्य को सीलबंद लिफाफे में विशेष जांच दल (SIT) को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. तब तक के लिए केरल सरकार ने मामले को 13 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दिया है.

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केरल उच्च न्यायालय की नई विशेष गठित पीठ, जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए. मुहम्मद मुस्ताक, जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस सी.एस. सुधा के साथ आज हेमा समिति की रिपोर्ट से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी. मामले में अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, AMMA (मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन), राज्य मानवाधिकार आयोग को मामले में पक्षकार बनाया है.

अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपने चार साल में हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर बैठे रहने के अलावा कुछ नहीं किया. हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि ना केवल फिल्म इंडस्ट्री में बल्कि समाज के अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए क्या किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद कई लोग आगे आए. कोर्ट ने यह सवाल तब उठाया जब अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्ट के बाद दी गई शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की गई है. एसआईटी को  कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करनी चाहिए थी.

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अदालत ने निर्देश दिया कि कार्यवाही में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए और कहा कि रिपोर्ट की जांच के बाद ही एफआईआर की आवश्यकता है या नहीं, इसका फैसला किया जा सकता है. उच्च न्यायालय ने रिपोर्ट जारी होने के बाद राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी सवाल उठाया.

सरकार ने तर्क दिया कि कमेटी का गठन फिल्म उद्योग की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए किया गया था और रिपोर्ट में शिकायतकर्ताओं या शिकायत के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया. अदालत ने एसआईटी को यौन आरोपों के अलावा वेतन समानता, कार्यस्थल में बुनियादी सुविधाओं की कमी आदि जैसे अन्य मुद्दों पर भी गौर करने को कहा है, जिनका खुलासा हेमा समिति की रिपोर्ट में हुआ है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि एसआईटी को पहले हेमा कमेटी की रिपोर्ट की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रिकार्ड पर रखे.अदालत ने एसआईटी को कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने का निर्देश दिया. अदालत ने एसआईटी को मामले की गोपनीयता बरकरार रखने के निर्देश दिए.