आज दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूलों (GHPS) के शिक्षकों के बकाया वेतन, भत्तों और सेवानिवृत्ति लाभों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, उनके वित्तीय शिकायतों को दूर करने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने संस्थान के दो प्रमुख संपत्तियों (हरियाणा के बिगर में 292 एकड़ और दिल्ली के शाहदरा में 15 एकड़) की बिक्री, पट्टे या ट्रांसफर पर रोक लगा दी है ताकि शिक्षकों को उनका बकाया भुगतान सुनिश्चित किया जा सके. हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि GHPS और DSGMC की संपत्तियों से प्राप्त होने वाली सभी किराये की आय का उपयोग केवल लंबित वेतन और बकाया का भुगतान करने के लिए किया जाएगा. शिक्षकों को पूरा भुगतान होने तक, DSGMC और GHPS सोसायटी के अधिकारियों के वेतन और भत्ते स्थगित रहेंगे. इसके अलावा, स्कूलों को इन भुगतानों के लिए संपत्तियों की बिक्री की योजना प्रस्तुत करनी होगी.
साथ ही अदालत ने एक अलग मामले में, कोर्ट ने शिक्षिका सुजाता जादू के चिकित्सा उपचार के लिए 17.5 लाख रुपये को चरणबद्ध तरीके से जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी नोट किया है कि सेठी और मेहरा द्वारा किए गए फॉरेंसिक ऑडिट ने पुष्टि की है कि GHPS (ND) समाज ने अपनी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत किया है. वहीं, DSGMC को एक सप्ताह के भीतर अपनी संपत्तियों की पूरी सूची प्रदान करने के लिए कहा गया है. इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने संपत्तियों के वास्तविक मूल्य का निर्धारण करने के लिए सरकारी मान्यता प्राप्त मूल्यांकनकर्ता, नितेश श्रीवास्तव, को नियुक्त किया है, जिसकी समय सीमा 7 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है. इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 10 जुलाई 2025 को निर्धारित की है और कालका और खालोन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है.
DSGMC वर्षों से कानूनी जांच का सामना कर रहा है, इसके नेताओं पर बार-बार अदालती आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया गया है. न्यायालय ने 2021 और 2024 में उन्हें कानूनी आदेशों का पालन करने में विफल रहने के लिए जानबूझकर अवमानना पाया है. हरमीत सिंह कलका और जगदीप सिंह खालों को अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया है, जबकि कई पूर्व DSGMC नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.