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GAUHATI HIGH COURT: सेना द्वारा 1994 में मारे गए युवकों के परिजनों को 20—20 लाख का मुआवजा देने का आदेश,

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा मुआवजे की राशि हाईकोर्ट के पास जमा की जाएगी और पीड़ित परिवारों को जिला न्यायाधीश द्वारा चिन्हित किए जाने पर इसका भुगतान किया जाएगा.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 11, 2023 4:47 AM IST

नई दिल्ली: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने वर्ष 1994 के तिनसुकिया जिले में सेना के हाथो मारे गए 5 युवकों के परिजनों को 20—20 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है. ये सभी युवक सेना द्वारा चलाए जा रहे उग्रवाद रोधी अभियान के दौरान मारे गए थे, और उनके परिनजों ने युवकों को निर्दोष बताया था.

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने लंबा समय बित जाने और मुश्किल गवाही के चलते अब इस मामले को बंद करने का निर्णय लिया है.

जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन की पीठ ने मामले को बंद करते हुए कहा कि अब इस मामले में सबूत या गवाहों को पेश करना मुश्किल हो गया है.

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परिजनों की पहचान के लिए

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा मुआवजे की राशि हाईकोर्ट के पास जमा की जाएगी और पीड़ित परिवारों को जिला न्यायाधीश द्वारा चिन्हित किए जाने पर इसका भुगतान किया जाएगा.

मुआवजे के लिए मृतक युवकों के परिजनों को तिनसुकिया के जिला न्यायाधीश के समक्ष 15 दिन के भीतर दावा पेश करना होगा, हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश को ही युवकों के मृतकों के परिजनों की पहचान करने के लिए कहा गया है.

क्या है मामला

फरवरी 1994 में असम के तिनसुकिया जिले के डूमडूमा सर्कल से सेना द्वारा'All Assam Students Union' (AASU) के नौ सदस्यों को जाचं के लिए उठाया गया था. बाद में इन 9 में से 5 युवकों के शव बरामद किए गए थे.

सेना की कार्यवाही उल्फा (ULFA) द्वारा एक चाय बागान के प्रबंधक की हत्या के बाद की गई थी. उस समय एएएसयू नेता जगदीश भुइयां ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में युवकों की सुरक्षा को लेकर बंदी प्रत्यीक्षकरण याचिका भी दायर की थी.जगदीश भुइयां बाद में असम राज्य के मंत्री भी बने.

7 जवानों को हुई थी सजा

हाईकोर्ट में दायर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के चलते सेना को इस मामले में पकड़े गए 9 में से 4 युवकों को पेश करना पड़ा था, जबकि अन्य मृतक युवकों के शवों को बाद में पेश किया गया था.

इस मामले में सेना के जवानों के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज किया गया था. युवकों की हत्या में शामिल ढोला कैंप की 18 पंजाब रेजिमेंट के सात जवानों को वर्ष 2018 में सेना की एक अदालत ने दोषी पाया था और सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.