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क्या डाबर का केवल फल से जूस बनाने का दावा सही है? जानें दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची FSSAI ने क्या बताया

FSSAI ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाव किया कि डाबर द्वारा अपने जूस को '100 प्रतिशत' फल से बना होने का दावा करना, उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है.

Dabur, FSSAI

Written by Satyam Kumar |Published : April 30, 2025 7:40 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट में एफएसएसएआई के असिस्टेंट डॉयरेक्टर स्मिता सिंह ने डाबर के खिलाफ याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने दावा किया है कि फूड प्रोडक्ट कंपनी का शत-प्रतिशत फल से जूस बना होने का दावा करना नियमों का उल्लंघन है. याचिका में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि डाबर द्वारा जूस में 100 प्रतिशत फल से बना होने का दावा करन नियमों और विनियमों (Rule and Regulation) का उल्लंघन करता है और यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है. एफएसएसएआई का कहना है कि इन पेय पदार्थों में पानी और फल के सॉल्यूशन  भी शामिल हैं इसलिए 100 प्रतिशत शब्द उपयोग मानने योग्य नहीं है.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उल्लंघन का दावा

IANS के मुताबिक, याचिका में डाबर के इस दावे को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि उनके फलों के रस में पानी और फल के सांद्रण शामिल हैं. डाबर का यह दावा कि उनके उत्पाद "100 प्रतिशत" फल हैं, उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है. FSSAI ने स्पष्ट किया है कि ऐसा दावा किसी भी खाद्य व्यवसाय ऑपरेटर (FBO) के लिए वैध नहीं है. FSSAI ने अपनी याचिका में कहा है कि 100 प्रतिशत" का प्रयोग खाद्य उत्पादों के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है. यह दावा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और इसके तहत बनाए गए नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करता है. FSSAI ने कहा कि 100 प्रतिशत" एक संख्यात्मक माप है, न कि गुणात्मक विवरण.

FSSAI ने जून 2024 में एक नोटिफिकेशन जारी कर FBOs को 100 प्रतिशत फल के रस जैसे दावों को लेबल और विज्ञापनों से हटाने का निर्देश दिया था. डाबर ने इस निर्देश को कानूनी रूप से असंगत बताया और कहा कि यह मौजूदा नियमों की गलतफहमी से उत्पन्न हुआ है. FSSAI ने यह भी स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 में 100 प्रतिशत शब्द की कोई परिभाषा नहीं है. यह स्थिति उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकती है और उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. याचिका में FSSAI ने लेबलिंग और दावों/विज्ञापनों पर वैज्ञानिक पैनल (SP-08) की बैठक के विचारों का भी उल्लेख किया है. इस पैनल ने डाबर के तीन उत्पादों - मिश्रित फल का रस, सेब का रस और अंगूर का रस - के बारे में चर्चा की थी. पैनल ने कहा कि 100 प्रतिशत का दावा भ्रामक है क्योंकि सामग्री सूची में स्पष्ट रूप से पानी का अतिरिक्त होना और मिश्रित फल का सांद्रण केवल 6.8 प्रतिशत है.

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हालांकि, यह मामला वर्तमान में दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है, और संभवत: सुनवाई की अगली तारीख 7 जुलाई है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेगी.