नई दिल्ली: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में एक बर्खास्त पुलिस अधिकारी और "कानूनी विशेषज्ञ" को गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया हैं.
पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बलविंदर सेखों और एक "कथित कानूनी विशेषज्ञ" प्रदीप शर्मा पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वर्तमान सिटिंग जजों के खिलाफ सोशल मीडिया पर बेहद अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है.
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर को भी विवादित वीडियो को ब्लॉक करने का आदेश दिया है.
जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर की पीठ ने लुधियाना पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए है कि वह अगली सुनवाई में दोनो अवमानना कर्ताओं को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करें.
पीठ ने अवमानना का नोटिस जारी करते हुए कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत के संविधान के तहत संरक्षित अधिकार हैं, लेकिन यह एक असीमित अधिकार नहीं है और जितने संवैधानिक अधिकार हैं, उतने कर्तव्य भी हैं देश के नागरिकों के लिए.
अवमानना नोटिस जारी करते हुए पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अवमानना के आरोपी ने उन्हें मजबूर किया है कि उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित हो.
पीठ ने कहा बलविंदर सेखों और प्रदीप शर्मा ने अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए सोशल साइटों पर सामग्री डालकर, उन्होंने न केवल अदालत को बदनाम किया है, बल्कि न्यायिक कार्यवाही में भी हस्तक्षेप किया है.
पीठ ने कहा कि इसलिए वो इस मामले में न्यायालय अवमानना अधिनियम के तहत अवमानना के आरोपी को अपना जवाब पेश करने के लिए इस पीठ के समक्ष उपस्थित होने का आदेश देती है.
एक व्यक्तिगत मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2023 को पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बलविंदर सेखों को अवमानना का नोटिस जारी किया था.
याचिकाकर्ता द्वारा दायर अवमानना याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि पुलिस जैसे अनुशाषित संगठन में रहते हुए सेखों ने सरकार के खिलाफ बेहद अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी की है.
याचिका पर सुनवाई के दौरान ही अदालत के समक्ष यह तथ्य सामने लाया गया कि आरोपी सेखों ने सुनवाई कर रही दो जजों की पीठ पर कई गंभीर टिप्पणियां करते हुए वीडियो जारी किए है.
अवमाननाकर्ता पर आरोप है कि उसने वीडियो में वित्तीय दुराचार से लेकर राजनीतिक दबाव तक की टिप्पणी की है.
अवमाननाकर्ताओं पर आरोप है कि 15 फरवरी को याचिका पर सुनवाई से पूर्व उन्होंने ना केवल इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की बल्कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी प्रसारित किया. अदालत में सुनवाई के बाद भी अवमाननाकर्ताओं ने इस मामले में वीडियो अपलोड किया.
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने 28 मार्च 2023 तक जवाब देने के लिए आदेश जारी किया था. सुनवाई के दौरान ही प्रदीप शर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए नोटिस जारी करने पर ऐतराज जताया था. पीठ ने इस पर प्रदीप शर्मा को सुनने से इंकार करते हुए आवेदन पेश करने को कहा था.
सुनवाई के बाद भी दोनों अवमाननाकर्ताओं ने ना केवल अदालत की कार्यवाही की खुली आलोचना करते हुए वीडियो अपलोड किया, बल्कि कई आपत्तिजनक टिप्पणी भी की.
अवमानना कर्ता प्रदीप शर्मा पर आरोप है कि उसने वीडियो में कहा कि वर्ष 2017 में अदालत को कुछ सीलबंद रिपोर्ट प्राप्त हुई थीं, लेकिन कई बेंचों के बदल जाने के बावजूद उन्हें खोला नहीं गया था और किसी भी जज में उन रिपोर्टों को खोलने की हिम्मत नहीं थी.
शर्मा ने अपनी टिप्पणियों को यहीं नहीं रोका, बल्कि एक कदम हुए उसने कहा कि उसे एक नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाए ताकि वह उक्त सीलबंद रिपोर्ट के खुलने की निगरानी कर सके.
प्रदीप शर्मा पर आरोप है उसने वीडियो में हाईकोर्ट की पीठ के एक जज के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके पिता चीफ जस्टिस थे और उनमें भी रिपोर्ट खोलने की हिम्मत नहीं थी.
शर्मा ने अपने वीडियो में दावा किया कि दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कारण वो रिपोर्ट नहीं खोली गई थी.
शर्मा पर इस मामले में बेहद गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी करने का आरोप है अदालत के अनुसार शर्मा ने दावा किया कि अगर लिफाफे खोले गए होते तो "बेंच की पैंट गीली हो जाती".
आरोपी बलविंदर सिंह सेखों पर आरोप है कि उसे कोर्ट का समन जारी होने के बाद भी वह अदालत में पेश नहीं हुआ. इसके साथ ही इस मामले में अपने एक Scroll Punjab News Channel के रिपोर्टर Baljit Marwaha के साथ एक और वीडियो जारी किया.
पीठ ने कहा कि वीडियो की भाषा ऐसी है कि अदालत उसको रिकॉर्ड तक में नही ले सकती. इसके बाद भी आरोपियों ने कई वीडियो जारी कर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किए.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के वीडियो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोशल प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने से संवैधानिक संस्था की बदनामी होती है और यह वास्तव में कानून के शासन के खिलाफ जनता को भड़काने जैसा है.
पीठ ने कहा कि आरोपियों ने लगातार अदालत को चुनौती दी है, और अब हम आगे बढ़ाने के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्यों से पीछे नहीं हट सकते.
हाईकोर्ट ने लुधियाना पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि अवमानना के आरोपी बलविंदर सेखों और प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए है. अदालत ने कहा कि न्यायिक हिरासत में भेजने के साथ पुलिस कमिश्नर 24 फरवरी को दोनो आरोपियों को इस अदालत के समक्ष पेश करें.
पीठ ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के जरिए सीजेएम को भी आदेश दिए है कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति के साथ ही दस्तावेजों को आरोपियों को दिया जाए, जिससे वे अपने जवाब दे सके.
इसके साथ ही पीठ ने Scroll Punjab News Channel के रिपोर्टर Baljit Marwaha को जमानती वारंट से अदालत में पेश होने के आदेश दिए है.
पीठ ने इसके साथ ही Facebook, Youtube और Twitter के भारत में प्रतिनिधी को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिए है कि बलविंदर सेखों और प्रदीप शर्मा द्वारा अपलोड किए गए सभी वीडियो सभी प्लेटफार्म से तत्काल हटाए जाए.
पीठ ने Ministry of Electronics & Information Technology के सचिव, चंडीगढ़ प्रशासन सलाहकार और चंडीगढ़ Senior Superintendent of Police को भी आदेश दिए है कि वह इस मामले से जुड़े सभी वीडियो को सभी प्लेटफार्म से ब्लॉक करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें.
पीठ ने इस मामले में आदेश की पालना रिपोर्ट 22 फरवरी तक हर हाल में पेश करने के आदेश दिए है. पालना रिपोर्ट पेश नहीं करने पर अदालती कार्यवाही का सामना करने की चेतावनी दी है.