बुधवार (1 मई 2024) के दिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. नोटिस में गृह मंत्रालय से पूछा गया है कि कैसे सरकारी रिकार्ड से 70 हजार किलोग्राम की हेरोइन गायब हो गई है. अदालत ने इस मामले में केन्द्रीय वित्त विभाग और राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से भी जवाब की मांग की है. घटना साल 2018 से 2020 के बीच की है जिस दौरान सरकारी दस्तावेजों से करीब 70 हजार किलोग्राम हेरोइन गायब हुई है. याचिकाकर्ता के अनुसार, इसकी कीमत 5 लाख करोड़ रूपये के करीब है.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच के सामने पेश किया गया. जस्टिस ने गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया. साथ ही केन्द्रीय वित्त मंत्रालय एवं एनसीआरबी को इस मामले में अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. बेंच ने अगली सुनवाई 9 सितंबर, 2024 को सूचीबद्ध किया है.
जर्नलिस्ट बीआर अरविंदाक्षन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने कहा कि साल 2018 से 2020 के बीच सरकारी दस्तावेजों से लगभग 70 हजार किलोग्राम की हेरोइन गायब है. इन गायब हुई हेरोइन की कीमत करीब 5 लाख करोड़ रूपये के करीब है. याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच की मांग की है. साथ ही जब्त करने और उसे नष्ट करने से संबंधित रिकार्ड जमा करने के निर्देश दिए है.
याचिकार्ता ने कहा कि साल 2018 से 20 के बीच में एनसीआरबी और गृह मंत्रालय द्वारा की गई रिकार्ड में बहुत असमानताएं है. दोनों विभाग ने हेरोइन की जब्ती को लेकर अलग-अलग रिकार्ड जारी किए है. रिकार्ड में करीब 70,772.544 किलोग्राम हेरोइन का अंतर है जिसकी कीमत करीब 5 लाख करोड़ रूपये की है.
याचिका में कहा गया,
"ये गड़बड़ियां इतनी बड़ी है कि समाज में अराजकता फैल सकती है. याचिकाकर्ता स्पष्टीकरण के लिए सभी संबंधित फोरम पर गए, लेकिन अब तक उन्हें कोई रिस्पांस नहीं मिला है."
मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 सितंबर के दिन सूचीबद्ध किया है.