नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सहित देशभर के हाईकोर्ट अब कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग प्रक्रिया को मजबूत बनाने में जुटे है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अब कोर्ट की live streaming को लेकर नियम बनाए है. हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग नियम, 2022 को अधिसूचित करते हुए कई सख्त प्रावधान भी किए है.
13 जनवरी 2023 के गजट नोटिफिकेशन के बाद अब इन नियमों को लागू करने के साथ ही सार्वजनिक किया गया है. इन नियमों के जरिए हाईकोर्ट ने कोर्ट प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग की रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध लगाया है.
नए नियमों के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट की live streaming को बिना अधिकृत प्रयोग करने पर Copyright Act और IT Act के तहत अपराध माना जाएगा. live streaming का अनाधिकृत प्रयोग करने पर अदालत की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना होगा.
ये सभी नियम दिल्ली हाईकोर्ट और उसके क्षेत्राधिकार में शामिल अदालतों और ट्रिब्यूनल की कार्यवाही पर भी लागू होंगे.
इन नियमों के अनुसार Court live streaming को लाइव टेलीविज़न लिंक, वेबकास्ट, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों या अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से ऑडियो-वीडियो प्रसारण के रूप में मिली अनुमति के अनुसार कोई भी व्यक्ति कार्यवाही को देख सकता है.
हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए नियमों के अनुसार कुछ अपवादों को छोड़कर अदालत की अधिकांश कार्यवाही को live stream किया जाएगा. फैसले सुनाने या फैसला लिखते समय किसी जज द्वारा यह चाहने पर की उस समय live streaming ना हो, अदालत की live streaming को रोका जा सकता है. इस दौरान स्क्रीन पर “Order-dictation in progress” लिखा आएगा.
इसके साथ ही भोजन अवकाश या अन्य कारण से कोर्ट से जजों के नहीं होने पर लाइव स्ट्रीमिंग की स्क्रीन पर “Court not in-session” लिखा आएगा.
हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार किसी भी रूप में अदालत की कार्यवाही की live streaming को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित कोई भी व्यक्ति लाइव-स्ट्रीमिंग कार्यवाही या अभिलेखीय डेटा को रिकॉर्ड नहीं कर सकेगा और ना ही प्रसारित कर सकेगा.
हाईकोर्ट ने इस प्रतिबंध को सभी मैसेजिंग एप्लिकेशन पर भी लागू किया है. नियमों के अनुसार कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग की रिकॉर्डिंग और अभिलेखीय डेटा का विशेष कॉपीराइट हाईकोर्ट का होगा, और लाइव स्ट्रीम का कोई भी अनधिकृत उपयोग करने पर अदालत की अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.
कोई पक्ष या पक्षकार जो की लाइव स्ट्रीमिंग में शामिल होता है, वह इसके किसी भी भाग में कांट, छाट, पोस्ट, अपलोड, प्रसार या किसी तरह से बिना इजाजत के प्रयोग नहीं कर सकेगा.
अदालत ने स्पष्ट निर्देश जारी किए है कि अदालत की कार्यवाही के दौरान, सभी कर्मियों को पीठासीन जज के निर्देशों का पालन करना होगा, कोर्ट रूम शिष्टाचार और अनुशासन का भी पालन करना होगा. यह नियम कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग का किसी भी तरह से ऑडियो और/या वीडियो रिकॉर्ड नहीं करने, स्क्रीनशॉट नहीं लेने या मोबाइल संचार उपकरणों का उपयोग नहीं करने के लिए प्रतिबद्ध करते है.
ऐसा करने पर अदालत उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही से लेकर रिकॉर्डिंग उपकरण को जब्त करने का आदेश भी दे सकती है. नियमों के अनुसार विकलांग व्यक्तियों को सुलभ बनाने की बात कही गयी है.