Electoral Bond Row: सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की मांग खारिज करते हुए चेतावनी और आदेश दोनों दिए हैं. एसबीआई को आदेश मिला है कि 12 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जनकारी चुनाव आयोग को दे. वहीं, आदेश की अनदेखी करने पर चेतावनी मिली है कि अगर जानकारी देने में एसबीआई असफल रहती है, तो बैंक के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा. आइये जानते हैं कि एसबीआई के 30 जून तक की मोहलत की मांग से जुड़े आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ ? कोर्ट ने एसबीआई को क्यों फटकार लगाई है?
6 मार्च तक एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देनी थी. 4 मार्च को एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया. आवेदन में कोर्ट से मांगी गई जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय देने की मांग की गई.
5 जजों की संवैधानिक बेंच ने मामले की सुनवाई की. बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला
और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हुए. बेंच ने एसबीआई को 12 मार्च तक की मोहलत दी.
बेंच ने कहा,
"एसबीआई ने आवेदन में कहीं गई बातों से लगता है कि जरूरत भर की जानकारी उन्होंने तैयार कर रखी हैं. इसलिए मांग खारिज की जाती हैं. एसबीआई, 12 मार्च के दिन व्यावसायिक कार्यावधि समाप्त होने से पहले यह जानकारी दें."
कोर्ट ने आदेश दिया. एसबीआई इलेक्टोरल बॉन्ड से जानकारी दें. एसबीआई को निम्नलिखित की जानकारी देने को कहा गया है:
एसबीआई को ये जानकारी चुनाव आयोग को देनी है. चुनाव आयोग एक सप्ताह के अंदर इस जानकारी को अपने वेबसाइट पर डालेगी.
बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा,
"मानिए कि हम अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं कर रहे हैं, इसके बावजूद जानकारी देने में असफल रहते हैं, तो इस एसबीआई के खिलाफ जानबूझकर की गई अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाएगा."
SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी एक FAQ जारी है. FAQ में SBI ने बताया है कि एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले सभी खरीददारों का केवाईसी (KYC) किया हुआ है.
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे एसबीआई की ओर से पेश हुए. एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड के सेल और परचेज से जुड़े स्टैंडर्ड ऑफ प्रोजीसर (SOP) से जुड़े क्लॉज 7.1.2 को ध्यान में लाते हुए कहा कि इन जानकारियों को कोर बैंकिंग सिस्टम में नहीं रखेगी, जिससे यह एक जगह उपलब्ध नहीं है.
उन्होंने कहा,
"ये डेटा बहुत बड़ी संख्या में है. अप्रैल, 2019 से फरवरी, 2024 के बीच में, कुल 22,217 बॉन्ड्स खरीदे गए हैं. इन में करीब 44,000 से ज्यादा डाटा सेट बनते है, जो दो सिलोस में है. इस करने में तकरीबन तीन महीने का समय लगेगा."
कोर्ट ने इस तर्क को नकारा. 12 मार्च तक जानकारी देने के निर्देश दिए.