Plastic Dumping Near River Bank: सुप्रीम कोर्ट ने नदी तटों व जलाशयों के किनारे हो रही प्लास्टिक डंपिंग से चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र व बिहार सरकार से जवाब की मांग करते हुए टिप्पणी की कि जिन क्षेत्रों को प्रदूषण से मुक्त रखा जाना चाहिए था वहीं पर प्लास्टिक का सबसे बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने ये नाराजगी विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर जताई, जिसमें पटना निवासी याचिकाकर्ता ने गंगा नदी के किनारे हो रहे अतिक्रमण या निर्माण को हटाने को लेकर सरकार को निर्देश देने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ बिहार के पटना में गंगा नदी के किनारे अवैध अतिक्रमण या निर्माण को हटाने की मांग वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने देश में नदी तटों और जल निकायों में प्लास्टिक कचरे की डंपिंग पर चिंता जताई.
अदालत ने कहा,
“जिन क्षेत्रों को ऐसे प्रदूषण संभावित उत्पादों से मुक्त रखा जाना है, वहां प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक की डंपिंग से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है और देश में नदी तटों और जल निकायों में जलीय जीवन पर भी असर पड़ रहा है."
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने कहा,
“जब तक जिम्मेदार अधिकारी लोगों के सहयोग से ठोस प्रयास नहीं करते हैं, चाहे अवैध/अनधिकृत निर्माणों को लक्षित करने के प्रयास कितने भी हों, गंगा नदी/देश की अन्य सभी नदियों और जल निकायों में पानी की गुणवत्ता में वांछित सुधार अधूरा ही रहेगा.”
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NGMC), बिहार सरकार से याचिका में उठाए गए मुद्दों पर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है. साथ ही, नदी के किनारों और जल निकायों में प्लास्टिक कचरे के डंपिंग के बारे में शीर्ष अदालत द्वारा उठाए गए पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर भी जवाब की मांग की है.
पटना के एक निवासी द्वारा दायर अपील में कहा गया है कि बाढ़ में, सभी आवासीय इमारतें और घर संबंधित अधिकारियों की अनुमति या स्वीकृति के बिना बोरवेल खोद रहे हैं. पटना में नौजर घाट से नूरपुर घाट तक फैले गंगा के बाढ़ के मैदान के 520 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया है.
याचिकाकर्ता ने कहा,
"राज्य की एजेंसियां ऐसे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बिजली कनेक्शन दे रही हैं. पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि गंगा नदी के किनारे, खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण न हो."
याचिकाकर्ता की इन दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य हलफनामा दाखिल करके अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में हुई प्रगति की रिपोर्ट इस अदालत को देगा. ये हलफनामा बिहार के मुख्य सचिव द्वारा दाखिल किया जाना चाहिए.