नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार की अदालतों में पेश होने वाले अधिवक्तओं के साथ साथ लॉ इंटर्न के लिए भी ड्रेस कोड तय किया है. एक मामले की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने स्पष्ट किया है कि मुकदमों में प्रतिनिधित्व करते समय वकीलों को सफेद पट्टी (बैंड) पहननी चाहिए और लॉ इंटर्न को काली टाई, कोट, पैंट और सफेद शर्ट के ड्रेस कोड का पालन करना होगा.
जस्टिस प्रतिभासिंह की एकलपीठ गुरूवार को लॉ स्टूडेंट हार्दिक कपूर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई पर सुनवाई कर रही थी.हाईकोर्ट ने कहा कि लॉ इंटर्न दिल्ली बार काउंसिल द्वारा निर्धारित सफेद शर्ट, काली टाई और काली पैंट पहनकर राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की एकलपीठ ने अधिवक्ताओं के ड्रेस कोड को लेकर भी कहा कि शहर की सिविल अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी भी अदालत में पेश होने वाले वकीलों को उनके लिए निर्धारित पोशाक के साथ सफेद बैंड पहनना होगा.
एकलपीठ ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि शहर की सिविल अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी भी अदालत में पेश होने वाले वकीलों को पोशाक के साथ सफेद बैंड पहनना होगा. इंटर्न बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा निर्धारित काली टाई, काली पैंट और सफेद शर्ट के साथ अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.
गौरतलब है कि बीसीडी ने 16 दिसंबर को एक प्रस्ताव पारित करते हुए लॉ इंटर्न के लिए ड्रेस कोड तय करते हुए नीला कोट पहनना तय किया गया था.इस ड्रेस कोड की खास बात यह थी कि इंटन के लिए काली टाई तय की गई थी.
एसबीए ने इसकी शुरूआत नवंबर में दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में इंटर्न को वकीलों से अलग करने के लिए काला कोट पहनने से प्रतिबंधित करने के फैसले से की थी. इंटर्न को एक दिसंबर से सफेद शर्ट, नीला कोट और पतलून पहनने को कहा गया था. एसबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने में विफल रहने पर इंटर्न को अदालतों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
लॉ स्टूडेंट ने अपनी याचिका में शाहदरा बार एसोसिएशन (एसबीए) के उस सर्कुलर को चुनौती दी. याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट की ओर से पेश एडवोकेट उज्जवल घई ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के प्रस्ताव में इंटर्न के लिए काली टाई, कोट, पैंट और एक सफेद शर्ट अनिवार्य है, जबकि एसबीए ने दूसरे प्रावधान किए है.
एसबीए सर्कुलर कानून के अधिकार के बिना है क्योंकि वकीलों और इंटर्न की वर्दी के संबंध में नियम बनाना बीसीडी Bar Council of Delhi का विशेषाधिकार है, जिन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स ऑफ एजुकेशन, 2008 के नियम 27 को पहले ही बना रखा है जो वर्तमान में लागू है.
सुनवाई के बाद एकलपीठ ने मामले में एसबीए के सर्कुलर रद्द करते हुए याचिका का निस्तारण कर किया.
पीठ ने कहा कि विभिन्न संघों के सभी इंटर्न के लिए एक समान कपड़े निर्धारित करने के मद्देनजर ही दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को एसबीए के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी और बीसीडी को राष्ट्रीय राजधानी में सभी बार संघों और अन्य हितधारकों की बैठक आयोजित करने के लिए कहा था, ताकि इस बात पर आम सहमति बन सके कि लॉ इंटर्न को क्या पहनना चाहिए.
इंटर्न की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए, सभी हितधारकों की सहमति से एक समान नीति बनाई जानी चाहिए. एक समान ड्रेस निर्धारित की जानी चाहिए क्योंकि अगर अलग-अलग संघ, अलग-अलग ड्रेस कोड निर्धारित करते हैं तो इंटर्न को बहुत असुविधा होगी.