हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चे के पितृत्व से इंकार करने वाले शख्स के सामने दो शर्त रखी है. शख्स के सामने रखी गई ये दो शर्तें है कि या तो आपको DNA टेस्ट करवाना पडे़गा या बच्चे का मेंटनेंस खर्च उठाना होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट की ये सख्ती शख्स द्वारा बच्चे के पितृत्व से इंकार करने के बाद आया है. बता दें, शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें ट्रायल कोर्ट ने उसे DNA टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में, जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने शख्स के रवैये पर सख्ती दिखाई. अदालत ने पाया कि पितृत्व विवाद में बच्चे के बेसिक राइट्स का उल्लंघन हो रहा है. बच्चे के बेहतर भविष्य को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शख्स के सामने ये शर्तें रखी.
बेंच ने कहा,
"DNA टेस्ट से पितृत्व का निश्चित निर्धारण सभी पक्षों, विशेषकर बच्चों के लिए स्थिरता लाएगा."
बेंच ने आगे कहा,
"इस जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित करना कि बच्चों को उचित भरण-पोषण मिले, जो न केवल उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करे, बल्कि उनकी सामाजिक और कानूनी स्थिति की भी पुष्टि करे."
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये निर्देश बच्चे के पितृत्व को लेकर मामले में कहीं.
बता दें कि शख्स ने ही ट्रायल कोर्ट में ये मुकदमा दायर किया था. और महिला ने मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 125 के माध्यम से अपनी आवेदन दी. महिला ने शख्स को बच्चे का पिता बताया. वहीं, शख्स ने अदालत को बताया कि महिला की किसी दूसरे शख्स से हुई है जो कहीं चला गया है.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ट्रायल कोर्ट ने शख्स को DNA टेस्ट कराने या बच्चे का मेंटनेंस खर्च देने को कहा था. शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इसी फैसले को चुनौती दी है.