Advertisement

Uphaar Case: दिल्ली की अदालत ने सिनेमाघर की सीलिंग हटाने का आदेश दिया

13 जून, 1997 के दिन दिल्ली की 'उपहार सिनेमा' में हुए हादसे से जुड़े मामले में दिल्ली की अदालत ने अब लगभग 25 साल बाद सिनेमाघर को एक नया आदेश दिया है। बता दें कि इस घटना में 59 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी क्योंकि हॉल में आग लग गई थी..

Delhi Uphaar Cinema Fire Tragedy

Written by Ananya Srivastava |Published : August 3, 2023 10:27 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उपहार सिनेमाघर की सीलिंग हटाने का बुधवार को आदेश दिया और कहा कि ‘‘संपत्ति को सील रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा’’।

सिनेमाघर में 13 जून 1997 को बॉलीवुड फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी।

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार अदालत ने कहा कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Investigation Bureau), दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और उपहार त्रासदी पीड़ितों के संघ (Association of Victims of Uphaar Tragedy) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति (Neelam Krishnamoorthy) पहले ही आवेदक को सिनेमाघर वापस करने के लिए उच्चतम न्यायालय को अपनी ‘‘अनापत्ति’’ दे चुकी हैं।

Also Read

More News

अर्जी ‘अंसल थिएटर्स एंड क्लब होटल्स प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा दायर की गई थी, जिसके पूर्व निदेशक रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल अंसल थे। इस मामले में अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया गया था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्योंकि मुकदमा अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है, इसलिए संपत्ति को सील रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

इस प्रकार आवेदन की अनुमति दी जाती है और विचाराधीन संपत्ति की सीलिंग हटाये जाने का निर्देश दिया जाता है।’’ न्यायाधीश ने कृष्णमूर्ति की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले की एक प्रति दाखिल करने, लेकिन अदालत को गुमराह करने के वास्ते जानबूझकर एक पृष्ठ के नीचे की कुछ पंक्तियां छोड़ने के लिए आवेदक के खिलाफ उचित कार्रवाई का अनुरोध किया था। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा ‘‘अनजाने में’’ हुआ था।

कृष्णमूर्ति ने आवेदक पर न्यायिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि इस मामले में न्यायिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने के लिए आवेदक कंपनी के निदेशकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके लिए उन्हें दोषी भी ठहराया गया था।

न्यायाधीश ने आवेदक के वकील की उस दलील पर गौर किया, जिसमें दावा किया था कि “उक्त फैसले से इन पंक्तियों को छिपाने का कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया था और यह अनजाने में हुआ।’’ उच्चतम न्यायालय ने ‘अंसल थिएटर्स एंड क्लब होटल्स प्राइवेट लिमिटेड’ को राष्ट्रीय राजधानी स्थित उपहार सिनेमाघर की सीलिंग हटाने के अनुरोध को लेकर निचली अदालत जाने की 27 अप्रैल को अनुमति दी थी।