फरवरी 2020 के दिल्ली दंगा मामले में आतंकवाद रोधी कानून के तहत आरोपी मीरान हैदर ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि वह न तो ऐसी किसी बैठक में शामिल हुआ और न ही वह उस चैट समूह का सदस्य था, जहां हिंसा भड़काने की कथित साजिश पर चर्चा हुई हो. हैदर के वकील ने जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ के समक्ष कहा कि वह एक युवा नेता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया का छात्र है.
हैदर के वकील ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई संदेश नहीं रखे गए है. वकील ने कहा कि हैदर संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन का हिस्सा था, लेकिन दंगा भड़काने की किसी भी साजिश के लिए उसे दोषी ठहराने की खातिर कोई सबूत नहीं है. यह स्पष्ट है कि मैं जनवरी और फरवरी में आयोजित दो बैठकों का हिस्सा नहीं था. मेरे खिलाफ कोई वीडियो नहीं है, कोई फोटो नहीं है. मेरे पास से हथियार की कोई बरामदगी नहीं हुई है.
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि मामले में आरोपी निर्दोष दर्शक नहीं थे, जिन्होंने केवल विरोध प्रदर्शन आयोजित किए, बल्कि व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग कर हिंसा फैलाने की साजिश रची. सह-आरोपी शिफा उर रहमान की ओर से भी दलीलें पेश की गईं. रहमान के वकील ने आरोपों से इनकार किया और दलील दी कि रहमान किसी भी हिंसा स्थल पर मौजूद नहीं थे और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. वकील ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. हैदर और रहमान ने मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी है.
(खबर पीटीआई से है)