भारत के दो सबसे पसंदीदा खाना बटर चिकन और दाल मखनी पर बहस छिड़ गई है. अब दिल्ली हाईकोर्ट विचार करेगा कि बटर चिकन-दाल मखनी किसने इन्वेंट किया? ये झगड़ा दो प्रसिद्ध रेस्टोरेंट मोती महल और दरियागंज के बीच है. दोनों दावा कर रहे हैं कि उन्होंने इसे इन्वेंट किया है.
क्या है पूरा मामला?
मोती महल के मालिकों ने 'Inventors of Butter Chicken and Dal Makhani' टैगलाइन का इस्तेमाल करने के लिए दरियागंज रेस्तरां के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दायर किया. मोती महल का इल्जाम है कि दरियागंज रेस्तरां दोनों रेस्तरांओं के बीच कनेक्शन होने की बात कहकर भ्रम फैला रहा है. विवाद का जड़ मोती महल के इस तर्क को लेकर है कि उसके रेस्तरां की पहली शाखा दरियागंज इलाके में खोली गई थी. जबकि उसका तर्क है कि इस भौगोलिक रिश्ते का दरियागंज द्वारा एक ऐसे पाक रिश्ता को दर्शाने के लिए शोषण किया जा रहा है, जो वजूद में ही नहीं है.
विवाद की जड़ बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कार को लेकर दोनों रेस्तरां के बीच ऐतिहासिक दावे में मौजूद है. मोती महल इन खानों को बनाने का क्रेडिट अपने मरहूम पिता कुंदन लाल गुजराल को देता है. जबकि मोती महल के मुताबिक, देश का बंटवारे के बाद भारत आए गुजराल ने न सिर्फ तंदूरी चिकन का आविष्कार किया, बल्कि बटर चिकन और दाल मखनी का भी खोज किया.
मोती महल का सूट एक पाक-कथा का खुलासा करता है, जहां गुजराल, बिना बिके बचे हुए चिकन के सूखने से चिंतित थे, उन्होंने चतुराई से 'मखनी' या बटर सॉस का खोज किया. यह सॉस, टमाटर, मक्खन, क्रीम और मसालों का मिक्सर बनाया जो बाद में लजीज बटर चिकन का बुनियाद बना. मोती महल ने आगे तर्क दिया कि दाल मखनी का खोज बटर चिकन के आविष्कार से जटिल रूप से जुड़ा हुआ है, क्योंकि दाल मखनी बनाने के लिए काली दाल के साथ भी यही नुस्खा लागू किया गया था.जबकि दरियागंज रेस्तरां ने अभी तक अपना ऑफिशियल जवाब दाखिल नहीं किया है.
मामले मे पहली सुनवाई 16 जनवरी को जस्टिस संजीव नरूला की अध्यक्षता में हुई, जिन्होंने समन जारी किया और एक महीने के भीतर दरियागंज से लिखित जवाब देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होगी.