नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को गुजरात के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त करने के केंद्र के आदेश को बरकरार रखा, जिन्होंने गुजरात में इशरत जहां के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच में सीबीआई की सहायता की थी. वर्मा को 30 सितंबर, 2022 को उनकी सेवानिवृत्ति से पहले 30 अगस्त, 2022 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की खंडपीठ ने वर्मा द्वारा उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया.
उन्होंने अप्रैल 2010 और अक्टूबर 2011 के बीच 2004 के इशरत जहां मामले की जांच की थी और उनकी जांच रिपोर्ट पर एक विशेष जांच दल ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार दिया था.
इससे पहले, वर्मा ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जब उच्च न्यायालय ने विभागीय जांच के मद्देनजर गृह मंत्रालय को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी थी, जिसमें उनके खिलाफ आरोप साबित हुए थे.
हालांकि, उन्होंने मामले के लंबित रहने के दौरान पारित बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन के लिए पिछले साल उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया था.
आरोपों में सार्वजनिक मीडिया के साथ बातचीत करना शामिल था, जब वह नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन, शिलांग के मुख्य सतर्कता अधिकारी थे. उच्च न्यायालय ने पिछले साल 26 सितंबर को वर्मा की बर्खास्तगी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने आदेश में कहा, हम इस स्तर पर बर्खास्तगी के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते.