एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व वित्तमंत्री व कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के खिलाफ हो रही अदालती कार्यवाही पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की कार्यवाही को अगली सुनवाई तक रोक लगाते हुए कहा कि वे जल्द ही इस पर अपना फैसला सुनाएंगे. कांग्रेस नेता ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग में अपने खिलाफ हो रही कार्यवाही को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने याचिकाकर्ता पी चिदंबरम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संज्ञान लेने के बाद की कार्यवाही पर स्टे लगाया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली है.
चिदंबरम ने दावा किया कि ऐसा करना सीआरपीसी के धारा 197 का उल्लंघन है, जो कि किसी पब्लिक ऑफिसर या सार्वजनिक पद धारण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेने की बात कहती है. इसे लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत मंजूरी लेने
बता दें कि आज ही केजरीवाल ने इसी आधार पर ट्रायल कोर्ट द्वारा ईडी के चार्जशीट पर संज्ञान लेने को रोक लगाकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है.
यह मामला केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान ₹3,500 करोड़ के एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है. अभियोजन पक्ष का दावा है कि FIPB मंज़ूरी सुनिश्चित करने के लिए चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को रिश्वत मिली थी. जुलाई 2018 में सीबीआई और ईडी ने मामले के संबंध में आरोपपत्र और शिकायतें दायर कीं थी.