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जिसकी गिरफ्तारी सबसे जरूरी, वह कहां हैं?... 641 करोड़ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED के मनमाने रवैये से दिल्ली HC नाराज, तीन आरोपियों को दी जमानत

641 करोड़ रूपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन आरोपियों की याचिक मंजूर करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपी को गिरफ्तार न करना, जिसकी भूमिका याचिकाकर्ता से अधिक गंभीर प्रतीत होती है, तथा यहां तक ​​कि फर्जी खातों की व्यवस्था करने में मदद करने वाले व्यक्ति को भी आरोपी नहीं बनाना, ईडी द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण मनमाना प्रतीत होता है.

Delhi HC

Written by Satyam Kumar |Published : September 29, 2025 11:07 AM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई पर हाई-प्रोफाइल मामले में कैसी रहती है, जिस पर आए दिन सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक नाराजगी जाहिर करती है. ED मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच करती है, जिस पर रोक लगाना देश की सुरक्षा और विकास के लिहाज से बेहद जरूरी है. ऐसा ही एक मामला दिल्ली हाई कोर्ट में आया, जिसमें हाई कोर्ट ने ईडी से हैरानी जताते हुए कहा कि ये लोग जो जमानत की मांग कर रहे हैं, इनकी भूमिका मामले में कम गंभीर है, लेकिन मुख्य भूमिका वाले लोगों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, वे कहां है? आइये जानते हैं पूरा मामला...

दिल्ली हाई कोर्ट ने 641 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में तीन लोगों को जमानत दे दी और गंभीर भूमिका वाले आरोपियों को गिरफ्तार न करके स्पष्ट रूप से मनमाने ढंग से काम करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार लगाई. जस्टिस अमित महाजन ने फर्जी निवेश योजनाओं और नौकरी के झूठे वादों के जरिए कई लोगों को कथित रूप से ठगने और धोखाधड़ी करने के मामले में आरोपी विपिन यादव, अजय और राकेश करवा को जमानत दे दी.

जस्टिस ने 26 सितंबर के अपने आदेश में कहा कि ऐसे आरोपी को गिरफ्तार न करना, जिसकी भूमिका अर्जी देने वालों से अधिक गंभीर प्रतीत होती है, तथा यहां तक ​​कि फर्जी खातों की व्यवस्था करने में मदद करने वाले व्यक्ति को भी आरोपी नहीं बनाना, प्रतिवादी द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण प्रथम दृष्टया स्पष्ट रूप से मनमाना प्रतीत होता है। इसलिए, आवेदकों को समानता का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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जस्टिस ने कहा कि सीबीआई द्वारा की जा रही जांच, जिसके आधार पर ईडी द्वारा वर्तमान मामला दर्ज किया गया था, अभी तक समाप्त नहीं हुई है और मौजूदा मामला अभी भी संज्ञान के स्तर पर है. अजय और विपिन को 29 नवंबर 2024 को, जबकि राकेश को 29 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया था. जस्टिस ने कहा कि यह तर्क दिया गया है कि पहली अभियोजन शिकायत में 76 गवाह और पूरक अभियोजन शिकायत में 35 गवाह हैं, जिससे यह बहुत कम संभावना है कि मुकदमा शीघ्रता से समाप्त हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया, आवेदकों की भूमिका मुख्य आरोपी रोहित अग्रवाल की भूमिका से अधिक गंभीर नहीं कही जा सकती, क्योंकि ईडी का कहना है कि अधिकांश धनराशि उसी से आई थी.

सीबीआई के अनुसार, आरोपी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 12 बैंक खातों का प्रबंधन, संचालन और नियंत्रण किया, जिनके खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 16 शिकायतें प्राप्त हुईं.