नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को पेश करने का आदेश दिया है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की पीठ ने यह आदेश दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए है.
याचिका में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को गैर कानूनी बताते हुए दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्यवाही का अनुरोध किया गया है.
याचिकाकर्ताओं की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस ने जामिया में प्रवेश किया था और कथित तौर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर का विरोध कर रहे छात्रों की पिटाई की थी.
अदालत को बताया गया कि दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने कुलपति की अनुमति के बिना परिसर में प्रवेश किया और छात्रों को बेरहमी से पीटा जिससे लगभग घातक चोटें आईं.
जयसिंह ने पीठ को बताया कि जामिया के कुलपति (वीसी) ने कहा है कि पुलिस ने विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से पहले कोई अनुमति नहीं ली गई थी.
अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस का प्रवेश पूरी तरह से अनधिकृत था और विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर भी बल का उपयोग पूरी तरह से असंगत था. यह रिकॉर्ड पर है कि पुलिस द्वारा इस मामले में कुलपति की अनुमति नहीं ली गई थी.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने याचिकाकर्ता के तर्को का विरोध किया. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि याचिकाकर्ता तीसरे पक्ष के अजनबी हैं और इस घटना से उनका कोई संबंध नहीं है.
दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता ना तो पीड़ित है और ना ही पीड़ित व्यक्तियों से उनका कोई संबंध है. इस मामले में पहले ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अपनी जांच पूर्ण कर चुका है.
दोनो पक्षो की बहस सुनने के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से दिए गए तर्क के आधार पर पीठ ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया वो जामिया हिंसा मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करे.
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 8 मई को यह रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.