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टेंडर नियमों की अनदेखी करने पर Delhi HC ने IRCTC को फटकारा, 56 करोड़ का कैटरिंग ठेका भी रद्द किया

दिल्ली हाई कोर्ट ने आरके एसोसिएट्स को मिला 56 करोड़ रुपये का कैटरिंग अनुबंध रद्द करते हुए कहा कि कंपनी ने अपनी बिडिंग में लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया था और IRCTC से टेंडर देने में अपने नियमों की अनदेखी हुई है.

Written by Satyam Kumar |Published : April 24, 2025 5:00 PM IST

आज दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) के एक कैटरिंग कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पाया कि इस कॉन्ट्रैक्ट को देने में IRCTC ने अपने टेंडर नियमों का ही उल्लंघन किया है. आदेश के अनुसार, आईआरसीटीसी को तीन महीने के भीतर टेंडर प्रक्रिया फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन तब तक आरके एसोसिएट्स नए अनुबंध के मिलने तक परिचालन जारी रखेगा.

कैसे शुरू हुआ मामला?

कैंटरिंग टेंडर लेने के लिए कई कंपनियों ने बोली लगाई. इन कंपनियों में से एक दीपक एंड कंपनी ने 41 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. वहीं, आरके एसोसिएट्स ने 56 करोड़ की बोली लगाई, और उन्हें IRCTC की ओर से यह टेंडर मिल गया. अब दीपक एंड कंपनी ने 17 अप्रैल 2024 को आरके एसोसिएट्स को दिए गए पुरस्कार पत्र (LoA) को चुनौती दी. दीपक एंड कंपनी का तर्क था कि आरके एसोसिएट्स ने रेलवे अधिकारियों और कुछ निजी लाइसेंसधारियों के खिलाफ 2015 में दर्ज एक लंबित मामले का खुलासा नहीं किया है. कंपनी ने दावा किया कि मामला भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच के दायरे में था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर रोक लगा दी थी, फिर भी यह आरके एसोसिएट्स को IRCTC को इस मामले की जानकारी देने की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता.

56 करोड़ का कैटरिंग टेंडर रद्द

दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2024 को भारतीय रेलवे कैटरिंग और पर्यटन निगम (IRCTC) द्वारा आरके एसोसिएट्स को दिए गए 56 करोड़ रुपये के कैटरिंग अनुबंध को लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं करने के चलते रद्द कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने पाया कि बिडर द्वारा अपनी विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले उल्लंघनों का खुलासा न करना निविदा की शर्तों का उल्लंघन है और भ्रष्टाचार विरोधी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

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अदालत ने आईआरसीटीसी के इस दावे को खारिज कर दिया कि केवल पिछले तीन वर्षों के उल्लंघनों का खुलासा करना आवश्यक है, यह कहते हुए कि सभी उल्लंघनों का खुलासा करना आवश्यक है, भले ही वे किसी भी समय हुए हों. अदालत ने कोलकाता हाई कोर्ट के दामोदर वैली कॉरपोरेशन बनाम बीएलए प्रोजेक्ट्स के निर्णय का भी हवाला दिया, जिसके मुताबिक पिछले तीन वर्षों से पहले के उल्लंघनों का खुलासा आवश्यक है जब विश्वसनीयता दांव पर हो. अदालत ने आगे कहा कि इस खुलासे के ना होने से आईआरसीटीसी को आरके एसोसिएट्स की विश्वसनीयता का आकलन करने का अवसर नहीं मिला क्योंकि आपराधिक पूर्ववृत्त का खुलासा नहीं किया गया था.