Advertisement

गुजारा भत्ता का कानून पहली और दूसरी शादी में कोई अंतर नहीं करता, पत्नी को देना ही पड़ेगा खर्च... घरेलु हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि घरेलू हिंसा कानून पहली या दूसरी शादी में अंतर नहीं करता. अगर पति ने स्वेच्छा से विवाह किया है और महिला और उसके बच्चों को स्वीकार किया है, तो वह अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता.

Delhi HC

Written by Satyam Kumar |Published : July 17, 2025 11:25 AM IST

हाल ही में घरेलु हिंसा से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा का कानून गुजारा भत्ता देने के मामले में पहली और दूसरी शादी में अंतर नहीं करता.

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 15 जुलाई को कहा कि जब कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी साथी से विवाह कर लेता है और उसे तथा उसके पिछले विवाह से हुए बच्चों को स्वीकार कर लेता है, तो वह बाद में अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे हटने के लिए इसका बचाव के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता. एक व्यक्ति ने अलग रह रही अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की और कहा कि यह उसकी दूसरी शादी है और बच्चे उसकी (महिला की) पहली शादी से हैं.

हाई कोर्ट ने कहा,

Also Read

More News

"जहां तक याचिकाकर्ता (पुरुष) की इस दलील का सवाल है कि प्रतिवादी (पत्नी) की उसके साथ दूसरी शादी थी और उसकी पहली शादी से बच्चे हैं, यह पूरी तरह से गलत है."

हाई कोर्ट ने आगे कहा,

‘‘घरेलू हिंसा अधिनियम भरण-पोषण के अधिकार के उद्देश्य से पहले या बाद के विवाह के बीच अंतर नहीं करता है. एक बार जब याचिकाकर्ता ने स्वेच्छा से विवाह कर लिया और प्रतिवादी तथा उसके बच्चों को स्वीकार कर लिया, तो अब वह अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे हटने के लिए इसे बचाव के रूप में उपयोग नहीं कर सकता.’’

हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश में कोई कमी नहीं पाई, जिसमें व्यक्ति को अपनी पत्नी को एक लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने महिला के बेटों, जो बालिग हैं, को भरण-पोषण देने से इनकार करने संबंधी निचली अदालत के आदेश में भी कोई त्रुटि नहीं पाई.

दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला की शिकायत को उचित पाया कि सुनवाई के लंबित रहने के दौरान व्यक्ति ने कथित तौर पर उसके वैध दावों को विफल करने के लिए अपनी संपत्ति को बेचने का प्रयास किया. महिला ने दावा किया कि पति द्वारा बार-बार मानसिक, शारीरिक, वित्तीय और भावनात्मक दुर्व्यवहार का शिकार होने के बाद वह वर्तमान में अपने पैतृक घर में रह रही है.

उन्होंने कहा कि 1987 में उनके पहले पति की मृत्यु के बाद और दो बेटों का अकेले पालन-पोषण करते समय, उस व्यक्ति ने उनसे विवाह के लिए संपर्क किया और उनके बच्चों की देखभाल और पिता जैसा स्नेह देने का वादा किया था. इसके विपरीत, व्यक्ति ने दावा किया कि उसकी पत्नी स्वेच्छा से घर छोड़कर चली गई थी तथा उसने वापस लौटने या सुलह करने का कोई प्रयास नहीं किया.

(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)