पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी की ओर से टीएमसी नेता साकेत गोखले के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में दिल्ली हाई ने साकेत गोखले की अर्जी को खारिज किया है. साकेत गोखले ने हाई कोर्ट से अपने उस आदेश को वापस लेने की मांग की थी जिसमे कोर्ट ने गोखले को लक्ष्मीपुरी को 50 लाख का हर्जाना देने का निर्देश दिया था. पूर्व राजनयिक और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी लक्ष्मी पुरी ने गोखले पर मानहानि का मुकदमा किया था. गोखले ने आरोप लगाया था कि पुरी ने अपनी आय से अधिक अर्जित रकम से स्विट्जरलैंड में संपत्ति खरीदी है. 1 जुलाई, 2024 को, हाई कोर्ट ने पाया था कि गोखले ने पुरी के खिलाफ़ गलत और झूठे आरोप लगाए थे. कोर्ट ने गोखले को 50 लाख रुपये हर्जाने के रूप में देने और एक अखबार और अपने एक्स अकाउंट पर अपने बयानों के लिए माफी देने का आदेश दिया था.
टीएमसी नेता साकेत गोखले ने सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश IX नियम 13 के तहत आवेदन दायर कर 1 जुलाई, 2024 को पारित फैसला वापस लेने का अनुरोध किया. सुनवाई के दौरान, गोखले के वकील ने अदालत से उदार दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि सांसद के पास वर्तमान में हर्जाने का भुगतान करने के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं. लक्ष्मी पुरी के वकील मनींदर सिंह ने इस प्रस्ताव का दृढ़ता से विरोध किया.
1 जुलाई, 2024 के निर्णय के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने गोखले को चार सप्ताह के भीतर लक्ष्मी मुरुदेश्वर पुरी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. इसके अलावे, गोखले को आठ सप्ताह के भीतर सुश्री पुरी को 50 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने को कहा था. फैसले में अदालत ने यह भी कहा था कि वे जब तक इस हर्जाने की राशि नहीं भरेंगे, तब तक इनका वेतन कुर्क करके रखा जाए. अदालत ने निर्देश दिया कि कुल 50 लाख रुपये की राशि अदालत में जमा होने तक वेतन जब्त रहेगा. यह निर्देश पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें उन्होंने गोखले पर उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में अदालत के पिछले निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया था.