हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर गलत टिप्पणी करने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल (DU Prof. Ratan Lal) की एफआईआर रद्द करने की मांगवाली याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखे सबूतों से दिखाई पड़ता है कि उन्होंने समाज में दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने की कोशिश की है. प्रोफेसर रतन लाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट कर लिखा कि अगर यह शिव लिंग है तो लगता है शायद शिव जी का भी खात्मा कर दिया गया. इस पोस्ट को लेकर ही डीयू के प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि, इस मामले में रतन लाल को 21 मई, 2022 को ट्रायल कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
जस्टिस चन्द्र धारी सिंह की पीठ ने कहा कि उन्होने जो पोस्ट किया वो समाज के एक बड़े हिस्से की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से किया है. जस्टिस सिंह ने यह भी कहा कि लाल ने जो पोस्ट किया है वे भगवान शिव या शिवलिंग के उपासकों और भक्तों द्वारा अपनाई जाने वाली मान्यताओं और रीति-रिवाजों के प्रतिकूल है.
पीठ ने कहा,
“कोई भी व्यक्ति फिर चाहे वह प्रोफेसर, शिक्षक या बुद्धिजीवी ही क्यों ना हो, वह इस तरह की टिप्पणी, ट्वीट या पोस्ट करने के किसी भी अधिकार के दायरे में नहीं आता है, क्योंकि अपने विचारों ओर शब्दों को व्यक्त करने की एक सीमा होती है जो कि निरपेक्ष नहीं होती है.”
अदालत ने कहा गया कि याचिकाकर्ता इतिहासकार और शिक्षक होने के नाते समाज के प्रति अधिक जिम्मेदारी और जबावदेही हैं, क्योंकि वे आम जनता के लिए एक आदर्शवादी व्यक्ति हैं. साथ ही एक बुद्धिजीवी व्यक्ति दूसरों और समाज का मार्गदर्शन करने में सहायक होता है, इसलिए उसे सार्वजनिक क्षेत्र में इस तरह के बयान देते समय अधिक सचेत रहना चाहिए. अदालत ने कहा कि रतन लाल का इस तरह से बार बार टिप्पणी को दोहराना जानबूझकर किए गए और आपराधिक कृत्य को दर्शाता है, जो निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 153ए और 295ए का उल्लंघन है.
बता दें कि आईपीसी की धारा 153A विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्म स्थान और भाषा के आधार पर वैमनस्यता को बढ़ावा देने को अपराध घोषित करता है. वहीं, आईपीसी की धारा 295ए का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए किए गए कार्यों को अपराध घोषित करता है, जिसके अनुसार पूजा स्थल को क्षति पहुंचाना या अपमानित करना, किसी वर्ग के धर्म को अपमानित करने के इरादे से किए गए कार्य कानून का उल्लंघन है