नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने हाल ही में दिव्यांगों के लिए विशिष्ट दिव्यांग पहचान पत्र की जगह अलग परिचय पत्र बनाने का फैसला लिया था. रेलवे के इस फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई समाप्त करते हुए कहा कि रेलवे ने दिव्यांग लोगों को छूट के साथ टिकट खरीदने के लिए फोटो पहचान पत्र जारी करने का नीतिगत फैसला दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आधार पर लिया है ताकि उन्हें हर बार टिकट खरीदते समय दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा नहीं करना पड़े. मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि रेलवे के द्वारा अपने गई प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा , ‘‘इस अदालत को रेलवे के 19 मार्च 2015 के (फोटो पहचान पत्र जारी करने के) परिपत्र में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता और इसलिए मौजूदा जनहित याचिका पर आगे किसी आदेश की जरूरत नहीं है।’’
आपको बतादें कि एक गैर सरकारी संगठन 'नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ़ द डिसेबल्ड’ (एनपीआरडी) ने 2019 में एक याचिका दाखिल करते हुए रेलवे के इस फैसले को दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यू) रेल मंत्रालय के 2015 में जारी परिपत्र के विरोधाभाषी बताया था और कहा कि इसके बावजूद भारतीय रेलवे टिकट में छूट के लिए दिव्यांग लोगों को अलग पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया अपना रहा है।