दिल्ली हाई कोर्ट ने 2012 में हुई गोलीबारी के मामले में आरोपी को बुलाने के लिए एक महिला के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है. महिला ने अदालत के सामने दावा किया कि उसने होम्योपैथी इलाज के माध्यम से उसने 25 गोलियों के घाव ठीक किए हैं.इससे हैरानी और मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में चिंता जताते हुए जस्टिस अनूप जे भंभानी ने हुए कहा कि उसके दावे असंभावित और बेतुके थे, क्योंकि सर्जरी के बिना ऐसी चोटों से बचना असंभव था.
जस्टिस अनुप जे. भम्भानी (Justice Anup J Bhambhani) ने कहा कि निचली अदालतों के आदेश में कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है. यह मामला न केवल न्याय की खोज का है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ दावे अदालत में अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं. महिला ने दावा किया कि उसे कुछ व्यक्तियों द्वारा लोडेड रिवॉल्वर और एक मशीन गन के साथ हमला किया था. इस हमले में उसने कई गोलियों लगी. महिला ने दावा किया कि वह किसी अस्पताल, डॉक्टर या सर्जन के पास नहीं गई और उसके घावों से गोलियां बाहर आ गईं जब उसने कुछ होम्योपैथिक दवाओं का सेवन किया. उसने कैलेंडुला 30, सिलिसिया 30 और आर्निका 200 जैसी दवाओं का नाम लिया. यह दावा सुनकर अदालत ने हैरानी जताई, क्योंकि यह सामान्य चिकित्सा प्रथाओं के विपरीत था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने दावों को 'स्पष्ट रूप से असंगत' और 'असंभव' बताते हुए कहा कि यदि दावे सही भी हों, तो महिला के जीवित रहने की संभावना अत्यंत कम है क्योंकि उसके शरीर में गहरी गोली लगने के कारण उसे कई सर्जरी की आवश्यकता होगी. 6 मार्च को याचिका को खारिज करते हुए, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट रूप से, इस अदालत से याचिकाकर्ता के गवाही के संबंध में कोई टिप्पणियां आवश्यक नहीं हैं. अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि उसकी प्रस्तुतियों में कोई संगति या तर्कशीलता नहीं थी. दिल्ली हाई कोर्ट से पहले सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसके मामले को खारिज करते हुए कहा कि उसके दावे, साक्ष्यों के अलावा, स्पष्ट रूप से अविश्वसनीय हैं.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)