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दिल्ली हाईकोर्ट की अनोखी, एक्टिंग चीफ जस्टिस ने E-WhatsApp, ई-म्यूजियम और ह्यूमर इन कोर्ट का किया उद्घाटन

दिल्ली हाईकोर्ट

आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन के नेतृत्व में तीन आईटी इनिशिएटिव किए है. दिल्ली हाईकोर्ट के इन इनिशिएटिव के नाम दिल्ली उच्च न्यायालय व्हाट्सएप सेवाएं, दिल्ली उच्च न्यायालय ई-म्यूजियम और ह्ययूमर इन कोर्ट है. 

Written by My Lord Team |Published : September 11, 2024 6:31 PM IST

Delhi High Court: आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन के नेतृत्व में तीन आईटी इनिशिएटिव किए है. दिल्ली हाईकोर्ट के इन इनिशिएटिव के नाम दिल्ली उच्च न्यायालय व्हाट्सएप सेवाएं, दिल्ली उच्च न्यायालय ई-म्यूजियम और ह्ययूमर इन कोर्ट है.

इस पहल का उद्देश्य जस्टिस राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और पहुंच समिति द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है, जिसमें जस्टिस संजीव नरूला, जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव, जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा और जस्टिस गिरीश कठपालिया शामिल हैं. अदालत की व्हाट्सएप सेवाएं अधिवक्ताओं और वादियों को व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से सीधे वाद सूची, केस फाइलिंग और केस लिस्टिंग के बारे में जानकारी मुहैया कराएगी. व्हाट्सएप वादी को केस  से जुड़ी सारी जानकारी मुहैया करवाएगी.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपना ई-संग्रहालय भी लॉन्च किया है. यह डिजिटल संग्रह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण केस की रिकॉर्ड प्रदान करेगा, जिसमें ऐतिहासिक निर्णय, कानूनी दस्तावेज और अदालती कार्यवाही शामिल हैं, जिसने नौ वर्षों से न्यायपालिका और समाज दोनों को प्रभावित किया है.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'ह्यूमर इन कोर्ट' पोर्टल भी लॉन्च किया है. यह वेब पोर्टल न्यायालयों से हल्के-फुल्के और यादगार क्षणों के संग्रह के लिए समर्पित है. इस प्लेटफ़ॉर्म पर वास्तविक न्यायालय की कार्यवाही से उपाख्यानों, मजाकिया आदान-प्रदान और हास्य स्थितियों का एक क्यूरेटेड चयन होगा, जो कानूनी बहसों की गंभीरता और हल्के-फुल्के क्षणों के बीच संतुलन बनाए रखेगा.

दिल्ली उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर एक समर्पित अनुभाग के माध्यम से सुलभ, 'ह्यूमर इन कोर्ट' उपयोगकर्ताओं को क्लासिक कोर्टरूम आदान-प्रदान का पता लगाने और न्यायपालिका पर एक हल्के-फुल्के दृष्टिकोण का आनंद लेने का मौका देता है. अधिवक्ताओं और वादियों को delhihighcourt@nic.in पर ईमेल करके अपने स्वयं के विनोदी और यादगार न्यायालय के अनुभवों में योगदान देने के लिए भी आमंत्रित किया गया है. प्राधिकरण द्वारा समीक्षा के बाद प्रस्तुतियाँ ऑनलाइन प्रकाशित की जाएंगी.