दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा दायर याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया. याचिका में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत के संज्ञान और न्यायिक रिमांड आदेश को चुनौती दी गई है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने 29 जुलाई, 2022 को ईडी की अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) पर संज्ञान लिया और मामले में सत्येंद्र जैन को समन जारी किया.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त, 2024 तय की. सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन और अधिवक्ता मयंक जैन दिल्ली उच्च न्यायालय में सत्येंद्र जैन की ओर से पेश हुए.
मई में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र कुमार जैन की डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया. सत्येंद्र जैन ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसने उन्हें मामले में डिफ़ॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था. जैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष इस डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका के माध्यम से तर्क दिया कि ईडी वैधानिक अवधि के भीतर सभी मामलों में जांच पूरी करने में विफल रहा.
जैन ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष की शिकायत, जो सभी मामलों में पूरी नहीं है, आवेदक को सीआरपीसी को धारा 167 (2) के प्रावधानों के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के अपने अधिकार से वंचित करने के प्रयास में दायर की गई थी. उन्होंने आगे कहा कि यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि जब जांच लंबित हो तो आरोप पत्र दाखिल करना डिफ़ॉल्ट जमानत के अधिकार को खत्म करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. जांच पूरी होने पर ही आरोप पत्र दाखिल किया जाना चाहिए. जांच लंबित होने पर पीएमएलए मामले में अधूरी चार्जशीट या शिकायत दाखिल करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. यह धारा 167 (2) सीआरपीसी के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के अपूरणीय अधिकार को नकारता है. इसलिए, भले ही चार्जशीट दाखिल हो गई हो, जब जांच पूरी नहीं हुई है, तो पीएमएलए मामले में एक आरोपी भी डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार होगा.
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखता है. सत्येंद्र जैन/आवेदक, इस स्तर पर, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की दोहरी शर्तों को पूरा करने के लिए नहीं माना जा सकता है.
17 नवंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्हें 30 मई, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वे मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
ED का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की थी, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके.