बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने विदेशी लॉ फर्मों और वकीलों (Foreign Law Firms And Advocates) को भारत में लॉ प्रैक्टिस को ले विज्ञप्ति (Notification) जारी की. बीसीआई ने यह नोटिफिकेशन पिछले साल 10 मार्च, 2023 को जारी किया था. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) के वकीलों ने आपत्ति जताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि एडवोकेट एक्ट (Advocate Act) के अनुसार बीसीआई के पास विदेशी लॉ फर्मों और वकीलों को भारत में प्रैक्टिस की इजाजत देने का अधिकार नहीं है. इस पर कोर्ट ने बीसीआई और केन्द्र सरकार (Central Government) को नोटिस जारी किया है.
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत सिंह प्रीतम अरोड़ा की बेंच ने इस पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद केन्द्र और बीसीआई को नोटिस जारी किया. नोटिस में दोनों को अपना-अपना पक्ष रखने को कहा गया. मामले को अप्रैल में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
याचिका में कहा गया कि बीसीआई के पास विदेशी वकीलों को प्रवेश देने का अधिकार नहीं है. भारतीय एडवोकेट एक्ट, 1961 के अनुसार, जो व्यक्ति हमारे यहां वकील के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है, उसे इस पेशे में कैसे आने दे सकते है. याचिका में कहा गया कि विदेशी लॉ फर्म और वकील भारत में प्रैक्टिस करने के लिए पंजीकृत नहीं है, ना ही वे राज्य बार काउंसिल बनाए गए वकीलों के रोल में शामिल किये जा सकते हैं. यह याचिका बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) में नामांकित वकील नरेंद्र शर्मा, अरविंद कुमार वाजपेयी एवं अन्य ने दायर किया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ए. के. बालाजी (A. k. Balaji) केस में विदेशी वकील फर्म और वकील, दोनों ही भारत में प्रैक्टिस नहीं कर सकती है. हालांकि, विदेशी वकील या फर्म भारत में 'फ्लाई इन फ्लाई आउट' (Fly in Fly out) के तरीके से कानूनी सलाह दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत दी है.