Advertisement

'इन हालात में तो नियमित मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही', दोषी व्यक्ति को विदेश जाने की अनुमति देते Delhi HC ने कहा

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आबादी के अनुपात में मुकदमों की संख्या बहुत अधिक है और न्यायाधीशों की भारी कमी है जिसके कारण कई मामले अनसुने रह जाते हैं और अपीलों पर समय पर निर्णय नहीं हो पाता है.

दिल्ली हाईकोर्ट.

Written by Satyam Kumar |Published : April 28, 2025 8:06 AM IST

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट धोखाधड़ी और जालसाजी मामले के एक दोषी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. व्यक्ति ने अपने सामाजिक संबंधों और व्यवसाय के विकास के लिए अल्माटी, कजाकिस्तान और जॉर्जिया में रोटरी क्लब की क्लब असेंबली में भाग लेने के लिए विदेश यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया था. व्यक्ति के वकील ने दलील दी कि उसे पहले भी विदेश जाने की अनुमति दी गई थी और 67 वर्ष की आयु होने के कारण उसके भागने की कोई गुंजाइश नहीं है. अदालत ने कहा कि धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाले व्यक्ति ने 2019 में हाई कोर्ट में अपील दायर किया था और पिछले जज ने इसे स्वीकार करते हुए नियमित मामले के रूप में सुनवाई करने को लेकर सहमति जताई थी, लेकिन मामला अदालत के सामने लंबित रहा.

आबादी के अनुरूप जजों की बेहद कमी: HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने आबादी के अनुपात में मुकदमों की संख्या के मद्देनजर न्यायाधीशों की अत्यधिक कमी का जिक्र करते हुए कहा कि इस वजह से कई मामले अनसुने रह जाते हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि ज्यादा संख्या में लंबित मामलों के कारण वह उचित समय के भीतर अपीलों पर निर्णय लेने में असमर्थ है और जब कुछ मामले अनसुने रह जाते हैं, तो यह न्यायाधीश के लिए बेहद पीड़ादायक होता है.

जजों की कमी से नियमित मामलों पर नहीं हो रही सुनवाई: HC

अनुमति देने की मांग याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि मेरे विचार से, चूंकि लंबित मामलों की संख्या अधिक होने के कारण यह न्यायालय उचित समयावधि में अपीलों पर निर्णय करने में असमर्थ है, इसलिए कुछ हद तक यात्रा के अधिकार से भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि जनसंख्या की तुलना में न्यायाधीशों की भारी कमी और मुकदमों की संख्या के कारण, लंबे समय तक नियमित मामलों पर सुनवाई नहीं हो पाती है. अदालत ने व्यक्ति को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर एक मई से 11 मई तक विदेश यात्रा की अनुमति दे दी. अदालत ने कहा कि रोटेरी क्लब असेंबली जैसे कार्यक्रम में सामाजिक और व्यावसायिक संबंध विकसित होते हैं.

Also Read

More News

जस्टिस कठपालिया ने कहा कि कई बार तो शाम पांच बजे के बाद भी जब अदालतें खुली रहती हैं, तब भी कुछ मामलों की सुनवाई नहीं हो पाती, जो जजों के लिए अत्यंत पीड़ादायक होता है. ऐसे अनिश्चित माहौल में याचिकाकर्ता को स्वतंत्र आवागमन से वंचित करना, भले ही वह यात्रा का आनंद लेने के लिए ही क्यों न हो, उचित नहीं ठहराया जा सकता.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)