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न्यायाधीश के खिलाफ टिप्पणी पर अवमानना मामला में Delhi High Court ने प्रोफेसर रंगनाथन को हलफनामा के लिए दी मोहलत

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उन्हें अपने रुख के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा कि अदालत “अभिव्यक्ति की आजादी” की पक्षधर है, लेकिन दिए गए बयान निंदनीय नहीं होने चाहिए.

Delhi High Court

Written by My Lord Team |Published : May 24, 2023 6:07 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने एक न्यायाधीश के खिलाफ टिप्पणी को लेकर एक आपराधिक अवमानना मामले में आरोपी लेखक आनंद रंगनाथन को हलफनामा दाखिल करने के लिए बुधवार को चार सप्ताह का समय दिया.

व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए रंगनाथन ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सर्वोपरि मानते हैं, और उन्होंने न्यायाधीश के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया.

रंगनाथन के वकील जे साईं दीपक ने अदालत को बताया कि जेएनयू के प्रोफेसर रंगनाथन ने केवल एक “सामान्य बयान” दिया था कि अदालत की अवमानना की अवधारणा होनी ही नहीं चाहिए.

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न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उन्हें अपने रुख के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा कि अदालत “अभिव्यक्ति की आजादी” की पक्षधर है, लेकिन दिए गए बयान निंदनीय नहीं होने चाहिए.

गौरतलब है कि 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश एवं वर्तमान में ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर के खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाने वाले कुछ ट्वीट कुछ लोगों द्वारा पोस्ट किए गए थे.

ये ट्वीट तब किए गए जब उन्होंने (न्यायमूर्ति मुरलीधर ने) भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की रिहाई का आदेश दिया .

इसके बाद, उच्च न्यायालय द्वारा कथित तौर पर अवमानना करने वाले फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री, रंगनाथन और अन्य के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई थी.

इस साल की शुरुआत में रंगनाथन के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह (रंगनाथन) सुनवाई की अगली तारीख पर पीठ के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहेंगे। उनके वकील ने कहा था कि रंगनाथन अवमानना कार्यवाही में भाग लेंगे. अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव का एक पत्र प्राप्त करने के बाद स्वयं इस मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.