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किसकी हत्या हुई अब तक पता नहीं लगा! लेकिन पिछले सात साल से जेल में बंद, अब जाकर Delhi HC ने जमानत दी

दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत की मांग को लेकर एक ऐसी याचिका आई जिसमें व्यक्ति पर हत्या का आरोप था, लेकिन मृतक की पहचान सात साल बाद भी नहीं हो पाई है.

Delhi HC

Written by Satyam Kumar |Published : April 23, 2025 12:10 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अजीबोगरीब मामले में एक व्यक्ति को जमानत दे दी जिसने हत्या के आरोप में लगभग सात साल जेल में बिताए, जबकि मृतक की पहचान एक रहस्य बनी हुई है. यह घटना 2018 में हुई थी और मृतक की पहचान सोनी उर्फ ​​छोटी के रूप में हुई थी. 2018 की इस घटना में, आरोपी की गिरफ्तारी के बाद कथित तौर पर जीवित पाई गई 'सोनी उर्फ छोटी' नामक महिला की पहचान मृतक के रूप में नहीं हो सकी. सत्रह मई, 2018 को आरोपी की गिरफ्तारी के बाद सोनी को कथित तौर पर जीवित पाया गया था और मृत व्यक्ति की पहचान आज तक नहीं हो पाई है. आइये जानते हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा...

कोर्टरूम आर्गुमेंट

जस्टिस गिरीश कठपालिया ने 21 अप्रैल को कहा, ‘‘इस मामले की जांच से इस अदालत की अंतरात्मा को झटका लगा है. जस्टिस ने आगे कहा कि अभी तक मृतक की पहचान नहीं हो पाई है. जहां तक ​​‘अंतिम बार देखे जाने’ की परिकल्पना का सवाल है, उसको अंतिम बार सोनी उर्फ ​​छोटी के साथ देखा गया था, जो जीवित पाई गई. हत्या के मामले में आरोपी मंजीत करकेट्टा ने इस आधार पर जमानत मांगी कि हालांकि वह 2018 से जेल में बंद है, लेकिन किसी को नहीं पता कि किसकी हत्या हुई.

जस्टिस ने कहा,

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‘‘यह बेहद दुखद है कि एक इंसान ने वर्ष 2018 में इतने वीभत्स तरीके से जान गंवा दी और उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया, लेकिन आज तक मृतक की पहचान भी नहीं हो पाई है.’’

अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अंतिम बार देखे जाने’’ के साक्ष्य आरोपी को हत्या से जोड़ते हैं. इसके विपरीत, व्यक्ति के वकील ने कहा कि उसकी उपस्थिति मोबाइल फोन टावरों से ली गई थी, जो एक बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि वह हत्या के समय सटीक अपराध स्थल पर मौजूद था. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह मानते हुए जमानत मंजूर की कि मृतक की पहचान न होना आरोपी को अनिश्चितकाल तक कारावास में रखने का पर्याप्त कारण नहीं है, और आरोपी को 10,000 रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.