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IIT Delhi: छात्रों को सिखाएं बिना तनाव लिए कैसे बेहतर प्रदर्शन करें, Delhi High Court IIT के फैकल्टी, कर्मचारियों को दिया ये निर्देश, जानिए पूरा वाक्या

दिल्ली हाईकोर्ट में एक पैरेंटस ने सीबीआई मांग की जांच करते याचिका दायर की. याचिका IIT Delhi में दो छात्रों के मृत पाए जाने से जुड़ा था. पढ़िए दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की ये याचिका

Delhi High Court

Written by My Lord Team |Published : February 4, 2024 12:23 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआईटी दिल्ली ( IIT Delhi) के फैकल्टी, कर्मचारियों को निर्देश दिया. अपने निर्देश में कोर्ट ने कहा कि संस्थान में कार्यरत अधिकारी छात्रों से बेहतर संवाद स्थापित करें. उन्हें बताएं और सिखाएं कि तनाव में आए बिना बेहतर प्रदर्शन कैसै किया जाता है. यह उचित समय है जब संस्थान में पढ़ रहे छात्र ये समझें कि केवल ज्यादा मार्क्स लाना ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य नहीं है. जीवन में और भी कार्य है जो जरूरी है.

IIT हॉस्टल में मिला छात्रों का शव

दिल्ली हाईकोर्ट में एक आईआईटी दिल्ली से जुड़ा एक याचिका दर्ज हुई जिसमें संस्थान के हॉस्टल रूम में दो छात्रों के मृत मिलने के मामले में सीबीआई जांच की मांग थी. दोनों मृतक छात्र सगे भाई थे. याचिका में इन दोनों के पैरेंटस ने आरोप लगाया कि संस्थान के फैकल्टी मेंबर मिलकर उनके बच्चों को मारा है. साथ ही सही तथ्यों को छिपाकर इसे सुसाइड का मामला बनाने की कोशिश की गई है. पैरेंटस ने यह भी जिक्र किया कि उनके बच्चों के साथ जातीय भेदभाव कर बुरा बरताव हुआ, जिससे वे डिप्रेशन में चले गए.

Delhi High Court ने सुनी याचिका

जस्टिस रजनीश भटनागर ने इस मामले की सुना. IIT Delhi के फैकल्टी को ये निर्देश दिये कि उन्हें छात्रों से बेहतर संवाद स्थापित करने चाहिए. छात्रों को ये सिखाना चाहिए कि कैसे बिना तनाव में आए बेहतर प्रदर्शन करें, अच्छे अंक लाए.

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कोर्ट ने कहा,

"छात्र कॉलेजों के कम्पटीटीव और प्रोफेशनल महौल में हर दिन नई-नई चुनौतियों देखते है. जिन परिसर में छात्रों ने अपने जीवन के इतने लंबा समय बिताते है, उन्हें इसी दौरान ये सिखाना चाहिए कि कैसे वह अपने मेंटल और फिजिकल हेल्थ (Mental and Physical Health) का ध्यान रख सकतें हैं."

कोर्ट ने खारिज की याचिका

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सहानुभूति जताई. कोर्ट ने कहा कि हम आपकी पीड़ा और झेली गई दुर्दशा से अवगत है लेकिन भावनाओं के आधार पर हम इस परमादेश (Mandamus) को जारी नहीं कर सकते. कोर्ट ने आरोपों में तथ्यों का अभाव देखते हुए इस याचिका को खारिज की.