नई दिल्ली: बिना पर्ची भरे और पहचान पत्र के बिना 2,000 रुपये के नोट बदलने की अनुमति देने को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज की. खबरों के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया.
पिछले हफ्ते, अदालत ने कहा था कि वह अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर आदेश जारी करेगी. भाषा के अनुसार, याचिका में दावा किया गया था कि बगैर पहचान पत्र के 2000 रुपये के बैंक नोट की अदला-बदली करने के संबंध में आरबीआई और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमानी और भ्रष्टाचार की रोकथाम करने के लिए लागू कानूनों के खिलाफ हैं.
जबकि आरबीआई ने कहा था कि 2000 रुपये के नोट को वापस लेना नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक सांविधिक कार्य है.
यहां बता दें कि 19 मई को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी और कहा था कि चलन में मौजूद ये नोट या तो बैंक खातों में जमा किये जाएं या 30 सितंबर तक इनकी अदला-बदली की जाए. आरबीआई ने एक बयान में यह भी कहा था कि 2000 रुपये के नोट की वैधता बनी रहेगी.
20 मई को एसबीआई ने अपने सभी स्थानीय मुख्य कार्यालयों के मुख्य महाप्रबंधकों को एक पत्र लिख कर सूचित किया था कि लोग एक बार में 20,000 रुपये की सीमा तक 2000 रुपये के नोट की अदला-बदली कर सकेंगे और इसके लिए कोई पर्ची लेने की जरूरत नहीं होगी.
पत्र में यह भी कहा गया था, ‘‘नोट की अदला-बदली के दौरान लोगों द्वारा कोई पहचान पत्र सौंपे जाने की जरूरत नहीं होगी.