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अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दोबारा से दिल्ली HC पहुंचा था व्यक्ति, अब अदालत ने उसके 'मकान की वैधता' साबित करने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ एक मामले में सख्ती दिखाते हुए याचिकाकर्ता से हलफनामा कर यह दिखाने को कहा कि उसका अपना घर योजना के अनुसार बना है. याचिकाकर्ता रविंदर यादव ने अवमानना ​​मामले को फिर से शुरू करने की मांग की थी.

दिल्ली हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : July 19, 2024 10:20 AM IST

To Show His House Constructed As Plan: हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण के खिलाफ एक मामले में सख्ती दिखाते हुए याचिकाकर्ता से हलफनामा कर यह दिखाने को कहा कि उसका अपना घर योजना के अनुसार बना है. याचिकाकर्ता रविंदर यादव ने अवमानना ​​मामले को फिर से शुरू करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसे जुलाई 2023 में समाप्त कर दिया गया था और अवैध निर्माण के मुद्दे से निपटने के निर्देश दिए गए थे.

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टि‌स धर्मेश शर्मा ने याचिकाकर्ता से हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि याचिकाकर्ता के घर में कोई अनधिकृत निर्माण है या नहीं और क्या घर का निर्माण स्वीकृत योजना के अनुसार हुआ है. सुनवाई के दौरान प्रतिवादी एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के वकीलों ने कहा कि उन्होंने समय-समय पर इस अदालत के निर्देशों के अनुसार अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की  है. इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय की मांग की. दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 12 नवंबर, 2024 को तय की है.

इस बीच, यह पता लगाने के लिए कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है या नहीं, पीठ ने याचिकाकर्ता को अपने व्यवसाय और शिक्षा का विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. उसे इपनी आय और आय के स्रोत के साथ पिछले एक साल के बैंक खातों की कॉपी भी अदालत की रिकार्ड पर रखने को कहा गया है. याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका (PIL) या किसी भी अदालत में अतीत में दायर की गई याचिकाओं की संख्या के बारे में बताने के निर्देश दिए.

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पीठ ने यह भी बताने को कहा है कि उसने कितने मामलों में अभियोजन (मुकदमा) वापस लिया है या विरोधी पक्षों के साथ समझौता किया है, जिन्होंने उसके अनुसार, किसी भी सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत निर्माण और/या अतिक्रमण किया है या करने का इरादा किया है.

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के घर और उस घर के बीच की दूरी का भी उल्लेख करने को कहा है जहां अनधिकृत निर्माण का आरोप है. इसने यह भी पूछा कि क्या याचिकाकर्ता का प्रतिवादी पक्ष के साथ कोई विवाद है, जिस पर कथित अनधिकृत निर्माण करने का आरोप लगाया है.

जस्टिस शर्मा ने 9 जुलाई को आदेश दिया,

"प्रतिवादी द्वारा स्थिति रिपोर्ट और याचिकाकर्ता द्वारा हलफनामा आज से चार सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए."

अदालत ने उक्त आदेश के साथ मामले को 12 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की है.

पूरा मामला क्या है? 

वर्ष 2022 में याचिकाकर्ता ने 30 नवंबर, 2021 के आदेश की अवमानना ​​कार्यवाही की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. 30 नवंबर, 2021 को उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया और नगर निगम अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस को नजफगढ़ सर्कुलर रोड और बाबा हरिदास नगर में संपर्क मार्गों पर मार्ग में बाधा डालने वाली निर्माण को हटाने के निर्देश दिया, 20 जुलाई, 2023 के आदेश में उल्लेख किया गया।

20 जुलाई, 2023 को पुलिस ने आगे कहा कि वे लगातार न्यायालय के आदेशों का पालन कर रहे हैं और मार्ग के अधिकार में बाधा डालने वाली संरचनाओं को हटा रहे हैं. उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि प्रतिवादी यह सुनिश्चित करेंगे कि रास्ते में कोई बाधा उत्पन्न करने वाली  निर्माण न हो, और इसके अतिरिक्त, जब भी याचिकाकर्ता किसी भी क्षेत्र में अतिक्रमण/अवैध और अनधिकृत निर्माण की सूचना नजफगढ़ और बाबा हरिदास के एसएचओ या संबंधित नगर निगम के व्यक्ति को देगा, तो वे कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई करेंगे. यदि याचिकाकर्ता अभी भी व्यथित है, तो वह अवमानना ​​याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए स्वतंत्र होगा.

20 जुलाई, 2023 को दी गई स्वतंत्रता के मद्देनजर, याचिकाकर्ता ने अवमानना ​​याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.