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खुले नाले में गिरने से हुई थी मां-बेटे की मौत, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर DDA देगी मुआवजा

ओपन पोटहोल्स (सांकेतिक चित्र)

दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को गाजीपुर के पास खुले नाले में गिरने से दुखद रूप से मरने वाले मां-बेटे के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

Written by Satyam Kumar |Updated : September 6, 2024 10:37 AM IST

Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को एक मां और बेटे के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. अदालत में डीडए ने भी इस बात पर जोड़ दिया कि वे घटना का दायित्व स्वीकार किए बिना भुगताने करने को राजी है. इस परअदालत ने नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही को लेकर मुकमदा चलाने के निर्देश दिए है. बता दें कि ये मामला गाजीपुर इलाके के पास जलमग्न वाले खुले नाले में गिरने से मां-बेटे की दुखद मौत होने से जुड़ी है.

मां-बेटे के उत्तराधिकारी को मिले 20 लाख, दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA को दिया मुआवजा देने का निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने मानवीय भाव के तहत मृतक तनुजा और प्रियांश के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की.

डीडीए की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह भुगतान देने का फैसला उन्होंने अपने अधिकारों और विवादों के प्रति पूर्वाग्रह और घटना के लिए किसी भी दायित्व को स्वीकार किए बिना किया गया है.

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अदालत ने कहा कि मामले में नगर निगम अधिकारियों द्वारा आपराधिक लापरवाही की गई है और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उनके कार्यों के लिए मामला दर्ज किया जाना चाहिए.

पूरा मामला क्या है?

याचिकाकर्ता झुन्नू लाल श्रीवास्तव ने दिल्ली में बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने और उससे होनेवाले हादसे को कम करने के लिए नीतियां बनाने और दिल्ली में सभी खुले नालों को तत्काल प्रभाव से ढ़कने और आम जनता को नालों से दूर रहने के लिए उचित संकेत लगाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से निर्देश देने की मांग की. राष्ट्रीय राजधानी में भारी बारिश के बाद पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके के पास गाजीपुर में बुधवार को एक महिला और उसका बच्चा जलभराव वाले नाले में गिरकर डूब गए. मृतकों की पहचान तनुजा (22) और उसके बच्चे प्रियांश (3) के रूप में हुई है, जो प्रकाश नगर खोड़ा कॉलोनी के निवासी हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि डीडीए ने अपने आदेश का खुद ही उल्लंघन किया है, जिसमें सभी इंजीनियरों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए गहरे ढके हुए नालों पर कोई अंतराल नहीं होना चाहिए और कोई भी मैनहोल खुला नहीं छोड़ा जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि जलभराव और बंद नालों के कारण लगातार होने वाली मौतों के बावजूद प्रतिवादी सुधारात्मक कदम उठाने में विफल रहे हैं, जिससे और अधिक लोगों की जान जा रही है.