दिल्ली हाई कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार संयुक्त अरब अमीरात (UAE) स्थित एक व्यवसायी की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने के लिये कथित रूप से टेरर फंडिंग करने के आरोप लगे है. जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने प्रथम दृष्टया यह स्थापित कर दिया है कि आरोपियों ने घाटी में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी धन को भारत में लाने में जहूर अहमद शाह वटाली की सहायता की थी, इसलिए, पीठ ने नवल किशोर कपूर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अधीनस्थ अदालत के 2019 के आदेश के खिलाफ जमानत देने से इनकार कर दिया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 मार्च को कहा कि अपीलकर्ता की संलिप्तता की ओर प्रथम दृष्टया इंगित करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है कि उसने आरोपी संख्या 10 (वटाली) के साथ मिलकर संयुक्त अरब अमीरात में स्थापित फर्जी और जाली कंपनियों से धन के प्रवाह को सहायता और बढ़ावा दिया, ताकि इसे कश्मीर घाटी में अलगाववादियों और पृथकतावादियों तक पहुंचाया जा सके. कथित तौर पर धनराशि का प्रवाह कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी, स्कूलों को जलाने आदि” के माध्यम से तबाही मचाने के लिए किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, “उपरोक्त चर्चा से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि (1) आतंकवाद के वित्तपोषण का पैसा पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों द्वारा भेजा गया था और (2) आरोपी संख्या 10 इस आतंकी वित्तपोषण के प्रवाह के लिए मुख्य माध्यमों में से एक था, और (3) अपीलकर्ता ने इसे सुविधाजनक बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी. यह स्वीकार करते हुए कि अभियुक्त को शीघ्र सुनवाई का अधिकार है, मामले के “विशिष्ट” तथ्यों को देखते हुए संवैधानिक न्यायालय जमानत देने से इंकार कर सकता है.
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 2017 में दर्ज एक मामले के अनुसार, दावा किया कि उसकी जांच से पता चला है कि अलगाववादियों ने आम जनता को हिंसा के लिए उकसाने और घाटी में अपने एजेंडे के प्रचार के लिए एक उग्र माहौल बनाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। कपूर को जुलाई 2018 में गिरफ्तार किया गया था। कपूर पर जनवरी 2019 में आईपीसी के तहत साजिश रचने और यूएपीए के तहत आतंकी वित्तपोषण के आरोप में आरोपपत्र दाखिल किया गया था.