नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने धोखाधड़ी के एक मामले में मुंबई की एक अदालत के समक्ष पेशी के लिए एक आरोपी की ट्रांजिट रिमांड (Transit Remand) देने के शहर की एक निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Writ) में तर्क दिया कि ट्रांजिट रिमांड संबंधी आदेश अवैध था।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील साहिल मोंगिया ने कहा कि मामले की केस डायरी मराठी में थी और इसलिए निचली अदालत यह निर्धारित नहीं कर सकी होगी कि ट्रांजिट रिमांड का मामला बनता है या नहीं।
न्यायाधीश जसमीत सिंह और न्यायधीश विकास महाजन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि ट्रांजिट रिमांड देते समय निचली अदालत ने याचिकाकर्ता की जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जबकि उसके पास ऐसा करने की शक्ति थी।
भाषा के अनुसार, पीठ ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा कि इसलिए साकेत अदालत (Saket Court) में दक्षिण पूर्व जिले के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 15 जून, 2023 को पारित आदेश को रद्द किया जाता है और निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता द्वारा आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 437 के तहत (जमानत के लिए) दायर याचिका पर सुनवाई की जाए और इसके गुण-दोष के आधार पर फैसला किया जाए।