दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट आथॉरिटी (DDA) से से जुड़े एक मामले की सुनवाई की. यह मामला छह सौ साल पुरानी एक मस्जिद को गिराने से जुड़ा है. कोर्ट ने पूछा अखूंदजी मस्जिद को गिराने के पीछे की वजह क्या थी? डीडीए को जबाव देने के लिए एक सप्ताह का समय मिला है. बता दें कि यह, अखूंदजी मस्जिद, शहर के महरौली इलाके में था. इस पुराने मस्जिद में एक मदरसा भी चल रहा था.
जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले की सुना. जस्टिस ने छह सौ साल पुराने मस्जिद को गिराने के चलते डीडीए से जबाव मांगा है. वजह की स्पष्टीकरण के साथ-साथ कोर्ट ने यह भी पूछा कि ऐसा करने से पहले कोई पूर्व सूचना क्यों नहीं दी गई. जबाव के लिए कोर्ट ने DDA को एक सप्ताह का समय दिया है.
कोर्ट बहरूल उलूम मदरसे और विभिन्न कब्रों के साथ-साथ मस्जिद के गिराने के खिलाफ एक तत्काल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी. इस तत्काल आवेदन को दिल्ली वक्फ बोर्ड की मैनेजिंग कमिटी के याचिका के साथ पेश की गई, जिस पर फैसला साल 2022 से रूका (लंबित) है. याचिका में कहा कि मस्जिद और मदरसे को 30 जनवरी को ध्वस्त कर दिया गया. वहीं, याचिका में मस्जिद के इमाम जाकिर हुसैन और उसके परिवार को बिना आश्रय के छोड़ देने का दावा है.
मामले की इस सुनवाई के दौरान डीडीए ने बताया कि उन्होंने ये कदम धार्मिक कमिटी के निर्देश पर लिया है. धार्मिक समिति ने ये निर्देश 4 जनवरी को दिया था. इस पर वक्फ बोर्ड का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि मस्जिद को गिराने जुड़े मामलों में धार्मिक कमिटी का कोई क्षेत्राधिकार नहीं बनता है. दोनों पक्षों के दलील सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी के दिन सूचीबद्ध किया है.